विश्व पर्यटन दिवस : वैश्विक शांति ही है वैश्विक उन्नति का मार्ग
झांसी। भारत ने दुनिया को बुद्ध दिया है और बुद्ध ने दिया है दुनिया को शांति किंतु वर्तमान में रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ ही इजरायल का गाज़ा पट्टी में हमास और लेबनान में हिजबुल्लाह के साथ चल रहा संघर्ष वैश्विक चिंता का कारण बना हुआ है जिसके परिणामस्वरूप युद्ध प्रभावित क्षेत्रों के साथ वैश्विक स्तर पर आपूर्ति, आयात-निर्यात के साथ आवागमन व पर्यटन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। वर्ष 1979 से पूरी दुनिया में 27 सितम्बर की तिथि को विश्व पर्यटन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी संयुक्त राष्ट्र की प्रतिष्ठित संस्था यूएनडब्ल्यूटीओ – संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन जिसमें भारत सहित 160 देश सदस्य हैं, ने वैश्विक पर्यटन की स्थिति को ध्यान में रखकर 2024 के लिए अपना थीम ‘टूरिज्म एंड पीस’ अर्थात पर्यटन एवं शांति जारी किया है। गतवर्ष पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार 60 लाख विदेशी पर्यटकों ने भारत की ओर रुख किया था, जिसमें आव्रजन ब्यूरो की रिपोर्ट बताती है कि लगभग 21 लाख बांग्लादेशी नागरिकों ने पर्यटन व अन्य सरोकारों हेतु भारत मे दस्तक दी जिनकी संख्या कुल विदेशी पर्यटकों के सापेक्ष 33 प्रतिशत थी।
विगत कुछ माह से बांग्लादेश के आंतरिक राजनैतिक कलह व अशांति के साथ वहाँ हिंदुओं व अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों के कारण भारत के साथ राजनैतिक गतिरोध का पर्यटन उद्योग पर व्यापक असर पड़ेगा। यूएनडब्ल्यूटीओ के मुताबिक 2024 में अबतक 79 करोड़ लोगों ने अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक के रूप में यात्रा की है तो वहीं मात्र रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक पर्यटन उद्योगों का तकरीबन 12 अरब रुपये का नुकसान हुआ है, ध्यातव्य हो कि इसमें इजरायल-हमास और इजरायल-लेबनान यद्ध अथवा बांग्लादेश के अंतर्कलह के कारण होने वाला नुकसान सम्मिलित नही है अन्यथा ये आंकड़े पर्यटन उद्योग की दृष्टिमात्र से ही और बढ़ेंगे।
वर्ष 2024 में भारतीय पर्यटन उद्योग की दृष्टि से पहली छमाही में अबतक 47 लाख से अधिक विदेशी पर्यटक भारत की यात्रा कर चुके हैं जोकि गतवर्ष की छमाही की तुलना में 11 प्रतिशत अधिक है जिसके फलस्वरूप भारत को लगभग 19 हजार करोड़ विदेशी मुद्रा आय की प्राप्ति हुई। पूरी दुनिया में पर्यटन उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है किंतु इस उद्योग संवेदनशीलता के कारण अशांति, युद्ध, महामारी व अस्थिरता का इस पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जहाँ पर्यटन उद्योग भारत कुल नौकरियों में 12 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 7 प्रतिशत का योगदान देता है वहीं अशांति, कलह व युध्दों के कारण इसमें गिरावट हजारों परिवारों की आजीविका को प्रभावित करती है।
हाल के दिनों में कई वैश्विक स्तर के नेताओं ने विश्व शांति में भारत की भूमिका को अहम माना है, यहाँ तक कि युद्ध प्रभावित राष्ट्र यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेन्सकी, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने विश्व शांति के मार्ग में भारत को प्राथमिकता दी है। जैसा कि सर्वविदित है भारत बुद्ध और गाँधी का देश है जो पूरी दुनिया मे शांति और अहिंसा के प्रतीक माने जाते हैं ऐसे में भारत द्वारा वैश्विक शांति की दिशा में किया गया पहल और अन्य राष्ट्रों द्वारा उसका अनुसरण ही विश्व मे शांति स्थापित करेगा। यूएनडब्ल्यूटीओ द्वारा जारी इस वर्ष का थीम ‘टूरिज्म एंड पीस’ ना केवल पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देगा अपितु सम्पूर्ण विश्व को उन्नति का मार्ग प्रशस्त करेगा।
सत्येंद्र चौधरी
शोध छात्र – बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झाँसी