विश्व पर्यावरण दिवस पर कई समाजसेवी संस्थाओं ने मिलकर निकाली नदी पुनर्जीवन यात्रा

चित्रकूट/बांदा (अनिल शर्मा)। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मंदाकिनी पायश्वनी नदी पुनर्जीवन यात्रा के संदर्भ में पवित्र तीर्थ क्षेत्र चित्रकूट के रामघाट में सर्वोदय सेवा आश्रम और तरुण भारत संघ परमार समाजसेवी संस्थान और गायत्री शक्तिपीठ का सबसे पहले मंदाकिनी नदी की समाप्त होने की ओर जा रही नदी पर संवाद हुआ जिसमें अभिमन्यु भाई प्रसिद्ध समाजसेवी ने कहा मां मंदाकिनी प्रति नदी 70% खत्म हो गई है 30% केवल बची है। यदि इन्हें नहीं बचाया गया तो चित्रकूट पवित्र तीर्थंकर का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा, और आने वाली पीढ़ी मां मंदाकिनी और पायश्वनी के दर्शन से वंचित हो जाएगी और यहां के लोग भूख और कुपोषण के शिकार हो जायेंगे। मंदाकिनी और पायश्वनी नदी से जीवन पानी वाले मल्ला सफाई कर्मी और तिरूपुरोहित व संतों और महंतों को चाहिए महंत को चाहिए कि वह जनता का सहयोग लेकर शासन और प्रशासन पर यह दबाव बनाएं कि चित्रकूट की नदियों का सीमांकन करवा उस पर अतिक्रमण दमन हवा को सीवर से मुक्त कराने के लिए जोरदार पहल करें और अभियान चलाएं।

वरिष्ठ पत्रकार एव समाज सेवी अनिल शर्मा ने कहा कि सारी सभ्यताएं नदियों के किनारे ही जन्मी और पुष्पित और पल्लवित हुई है उन्होंने कहा नदी नहीं रहेंगी तो वह शहर और गांव उजाड़ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हिंदू धर्म को हजारों वर्षों से दलित और ओबीसी महिलाएं अपने कंधों पर उठाए हुए हैं उसी तरह नदियों को जिंदा रखने का भार मल्ला और सफाई कर्मियों के ऊपर है। इसलिए उनका सबसे पहले वंदन और अभिनंदन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब मैं उरई छोड़कर के गांव में अपना आचरण आश्रम इसलिए बना रहा हूं कि में बाकी जीवन नदियों के पुनर्जीवन में खासतौर से मंदाकिनी पायश्वनी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए जियूंगा। और ऐसे देश में पांच पत्रकार साथी सहयोगी बनाने है जो लोग लालच से दूर रहे और निष्पक्षता के साथ खबरें लिखें। ऐसा मां ने मेरी आत्मा को संकल्पित किया है। इसे पूरा करने के लिए बाकी जीवन बिताऊंगा।

सर्व सेवा संघ के समाजसेवी कुंवर अरविंद सिंह ने तरुण भारत संघ और खजुराहो के राष्ट्रीय प्रशिक्षण सेवाओं में यह संकल्प लिया कि आज 5 जून को पर्यावरण दिवस के अवसर पर देश की 51 विलुप्त होती हुई छोटी नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए हम तन मन धन से पूरा करेंगे। गायत्री शक्तिपीठ चित्रकूट के व्यवस्थापक राम नारायण त्रिपाठी ने कहा की नदियों की समझ समझ में विकसित करनी होगी। क्योंकि वही हमारी सभ्यता और संस्कृत का आधार है। आगे उन्होंने कहा कि नदिया अतिक्रमण मुक्त हो और उसमें निर्माण नहीं होना चाहिए। नदियों में जो लोग आते हैं और प्रदूषण कर देते हैं, नदी को स्वच्छ बनाने का काम होना चाहिए। नगर पालिकाओं और महानगरपालिकाओं को नदियों में सीवर नहीं डालने चाहिए। क्योंकि यही नाले नदी को प्रदूषित करते हैं। तरुण भारत संघ राजस्थान के समाजसेवी सुरेश रैकवार ने कहा चित्रकूट में सभी सामाजिक संगठनों और विभिन्न समाज में काम करने वाले संगठनों को मिलकर नदी को मंदाकिनी सहित तमाम नदियां जो विलुप्त हो रही है उनके पुनर्जीवन के लिए काम को श्रद्धा और आत्मा के साथ करना चाहिए। इसी तरह नदी के दोनों तरफ पेड़ भी लगाए जाने चाहिए क्योंकि वह सूरज के पानी की चोरी को रोकते हैं।

बबलू निषाद ने कहा कि जिस तरह से मंदाकिनी और पायश्वनी नदी के उद्गम पर पक्के स्ट्रक्चर बना दिए गए हैं वहां की घास और पक्के स्ट्रक्चर को हटाया जाना चाहिए ताकि मंदाकिनी के जल स्रोत से पानी आता रहे। दिनेश दीक्षित और कभी नारायण तिवारी ने मंदाकिनी पायशवानी तथा अन्य उससे मिलती-जुलती नदियों के दर्द को अपने गीत के माध्यम से बयां किया है। अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत चित्रकूट विशाल सिंह ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सरकार ने 5 दिन चित्रकूट में मंदाकिनी पायशवानी आदि नदियों और प्राकृतिक विश्व धरोहर को संरक्षण और संवर्धन के लिए 15 दोनों का अभियान आज से शुरू हो गया है, जिसमें नदियों में साफ सफाई उन्हें प्रदूषण मुक्त करने का प्रयास किए जाएंगे। उन्हें जब अभिमन्यु भाई ने कहा तो उन्होंने कहा कि सिंह सिद्धांत नदी का चिंतन करने का भी कार्य कराया जाएगा।

 

इस अवसर पर कार्यक्रम में करण मौर्य कमलेश भोला गायत्री परिवार के परिजन एव गायत्री शक्तिपीठ संस्कृत विद्यालय के दर्जनों छात्र ने नदी में सफाई अभियान चलाया और बैनर लेकर के लोगों को रामघाट से लेकर विभिन्न घाटों में जाते हुए एक यात्रा भी निकाल इस दौरान पैसोनी मंदाकिनी की जंग में हम सब संग संघ में नदियों में सीहोर नल बंद करो बंद करो आएंगे कराएंगे नदियों का सीमांकन कराएंगे बहने दो बहने दो नदियों को अविरल बहने दो नदी गिर नई नारायण नारायण नारायण के भी नारे लगे ग्राम लोहरा में गवाही नदी पुनर जीवन यात्रा आज शाम 5: बजे से शुरू होगी।

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर चित्रकूट के कार्यक्रम में यह तय किया गया कि यहां से लोग अब बांदा जिले के लोहार गांव में स्थित गवाही नदी पुनर्जीवन यात्रा के लिए चलेंगे। आप सभी समाजसेवियों से और नदी प्रेमियों से अपील है कि वह शाम 5:00 बजे ग्राम लोहरा गवाही नदी पुनर्जीवन यात्रा में शामिल होने के लिए शीघ्र से शीघ्र पहुंचे।

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