वर्ष 2030 तक सर्पदंश के मामलों में 50 प्रतिशत कमी लाने का लक्ष्य : सीएमओ

राष्ट्रीय सर्पदंश नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत दिया गया प्रशिक्षण

झांसी। राष्ट्रीय सर्पदंश नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत कार्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी के सभागार में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सकों व फार्मासिस्ट का एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया।

 

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा सुधाकर पांडेय ने बताया कि सर्पदंश के मामलों में कमी लाने एवं ट्रीटमेंट प्रोटोकोल के अनुसार सर्पदंश से पीड़ित मरीज का इलाज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर किए जाने के लिए प्रत्येक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से एक चिकित्सक एवं फार्मासिस्ट को प्रशिक्षित किया गया है। पूरे प्रदेश में वर्ष 2030 तक सर्पदंश के मामलों में 50 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है। सभी सर्पदंश केस में से लगभग आधे में ही विष का प्रभाव मिलता है क्योंकि सभी सांप जहरीले नहीं होते हैं।

 

जनपद के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, जिला अस्पताल, मेडीकल कॉलेज में एएसवी उपलब्ध है। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा एनके जैन ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 38 प्रकार के सांप पाए जाते हैं, जिनमें मात्र 18 प्रजाति जहरीली हैं जैसे कोबरा, करैत, रसेल वाइपर, सा स्केल्ड वाइपर आदि। सर्पदंश का सामुदायिक स्तर पर प्राथमिक उपचार किया जाना आवश्यक है। इसमें पीड़ित अंग को फ्रैक्चर अंग की तरह स्थिर किया जाता है एवं रक्त का प्रवाह बंद ना हो पाए, ऐसी व्यवस्था की जाती है। फेफड़ों में उल्टी जाने के जोखिम को कम करने के लिए रोगी को बाईं ओर करवट से लिटा कर सही चिकित्सा देखभाल के लिए 108 एंबुलेंस का प्रयोग कर तुरंत निकटतम चिकित्सा इकाई पर ले जाना चाहिए।

 

नोडल अधिकारी एवं प्रशिक्षक डा उत्सव राज ने बताया कि प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात चिकित्सक एवं फार्मासिस्ट द्वारा ब्लॉक स्तर पर अन्य चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण देकर सर्पदंश के मामलों में कमी लाने के लिए प्रशिक्षित करेंगे। प्रशिक्षक एपिडेमियोलॉजिस्ट डा अनुराधा राजपूत ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को सांप काट ले तो पीड़ित को अधिक तनावग्रस्त न होने दें। घाव पर किसी प्रकार का मलहम आदि न लगाएं। घाव पर चीरा न लगाएं। जहर को मुंह से निकालने का प्रयास न करें एवं झाड़-फूंक में समय नष्ट न करते हुए डॉक्टर के पास शीघ्र जाएं। सांप को मारने या पकड़ने का प्रयास न करें। साथ ही पीड़ित व्यक्ति को किसी प्रकार की उत्तेजक या दर्द निवारक दवाई न दें। प्रशिक्षण में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा एन के जैन, जिला सर्विलांस अधिकारी डा रमाकांत स्वर्णकार, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी डा विजयश्री शुक्ला, आदित्य प्रकाश, योतेश सेजवार, दिलीप सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से चिकित्सक व फार्मासिस्ट उपस्थित रहे।

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