घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी एकदम परफेक्ट, रोबोट और कंप्यूटर नेविगेशन तकनीक का मरीजों को मिल रहा फायदा

झाँसी । सीके बिरला अस्पताल गुरुग्राम की आर्थोपेडिक्स टीम ने घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी में एक शानदार उपलब्धि हासिल की है। यहां एक 52 वर्षीय की कंप्यूटर नेविगेशन और रोबोटिक्स की मदद लेते हुए जीवन बदलने वाली घुटने की ट्रांसप्लांट सर्जरी की गई है। इस मरीज के घुटने में गंभीर विकृति थी और पुराने दर्द से पीड़ित था। इस मरीज का सफल इलाज मेडिकल इनोवेशन की ताकत को दर्शाता है।

 

इस मरीज के पैर मुड़े हुए थे और जोड़ों में समस्या थी जिसकी वजह से काफी दर्द रहता था। नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी करने का फैसला टर्निंग पॉइंट रहा लेकिन बेहतर रिजल्ट और रिकवरी की चुनौती भी थी। सीके बिरला अस्पताल गुरुग्राम की सर्जिकल टीम ने एक बेहतरीन डिसीजन लिया और एडवांस तकनीक का इस्तेमाल किया। इस एडवांस टेक्नोलॉजी की मदद से ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों को घुटने के जोड़ों से रियल-टाइम सिचुएशन का पता चलता रहता है जिसकी मदद से बेहतरीन प्लानिंग और एग्जीक्यूशन हो पाता है। इस तरह पर्सनलाइज्ड सर्जरी प्लान से मरीज की बॉडी के हिसाब से एकदम एक्यूरेट अलाइनमेंट और प्रोस्थेटिक कंपोनेंट्स की सही पोजिशनिंग होती है।

 

सीके बिरला अस्पताल गुरुग्राम में ऑर्थोपेडिक विभाग के लीड कंसल्टेंट डॉक्टर देबाशीष चंदा ने कहा, ”नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी में कंप्यूटर नेविगेशन और रोबोटिक्स के बहुत फायदे हैं। रियल-टाइम इमेजिंग ने सटीक कट और प्लेसमेंट को सक्षम किया है। जिससे प्रोस्थेटिक कंपोनेंट्स का प्लेसमेंट करने में किसी तरह की चूक नहीं होती है। इस टेक्नोलॉजी की मदद से सर्जरी टीम को अपना प्लान अमल में लाने में काफी मदद मिलती है और वो पूरी सटीकता के साथ अपना काम कर पाते हैं जिससे गलतियों के चांस काफी कम हो जाते हैं। रोबोटिक सर्जरी की वजह से शरीर पर छोटे कट आते हैं। टिशू डैमेज कम होता है और रिकवरी तेज होती है। टेक्नोलॉजी की मदद से अलाइनमेंट एकदम सटीक होता है जिससे नुकसान कम होता है और रिप्लेसमेंट के बाद लंबे समय तक मरीज को राहत रहती है। अलाइनमेंट सुधरने का फायदा ये होता है कि मोशन की रेंज और घुटने के ओवरऑल कामकाज में सुधार आता है।”

 

मरीज की इस सर्जरी का रिजल्ट बहुत ही शानदार था। सर्जरी के बाद दो दिन बाद मरीज अपने घर चला गया और जिस सर्जरी के दिन ही वो चलने लगे। तीन महीने के कोर्स के बाद मरीज न सिर्फ बिना दर्द हुए चलने लगे बल्कि वो थोड़े बहुत कामकाज में भी इंगेज हो गए, योगा पोज करने लगे। डॉक्टर देबाशीष चंदा ने आगे कहा, ”यह मामला ऑर्थोपेडिक सर्जरी में कंप्यूटर नेविगेशन और रोबोटिक्स की परिवर्तनकारी क्षमता को दिखाता है। मरीज की ट्रीटमेंट यात्रा इस बात का उदाहरण है कि कैसे टेक्नोलॉजी ने न केवल गतिशीलता को बेहतर किया है बल्कि क्वालिटी ऑफ लाइफ में भी सुधार किया है।

 

मेडिकल तकनीक जैसे-जैसे तरक्की कर रही है, इस तरह की सफल सर्जरी के मामले और भी आ रहे हैं. इस नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी की सफलता हेल्थ केयर में टेक्नोलॉजी के रोल को एक प्रेरणादायक रिजल्ट के रूप में दर्शाती है। टेक्नोलॉजी ने मरीजों को उनकी एक्टिव लाइफ लौटाने में बहुत मदद की है और ऐसे मरीजों को उम्मीद भी दी है।

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