“जल सहेलियों का सम्मान: नारी शक्ति की जल संरक्षण में नई पहचान!”
परमार्थ संस्था द्वारा आयोजित किया गया जल सहेली सम्मान समारोह
झांसी। गुरूवार को राजकीय संग्रहालय झाँसी में परमार्थ समाज सेवी संस्थान द्वारा “नारी शक्ति से जल शक्ति” के तहत जल सहेलियों का भव्य सम्मान समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में, जल सहेलियों ने अपनी मेहनत और समर्पण के बारे में साझा किया, जो कार्य उन्होंने झांसी की घुरारी नदी के पुनर्जीवन के लिए किए हैं। जल सहेलियों ने कहा कि आगे हम दर्जनों नदियों के पुनर्जीवन के लिए प्रयास करेंगे। गौरतलब है कि हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम “मन की बात” में इन जल सहेलियों के कार्यों की प्रशंसा की थी।
मुख्य अतिथि श्याम बिहारी गुप्ता अध्यक्ष, गौ सेवा आयोग उत्तर प्रदेश ने जल सहेलियों की सराहना करते हुए कहा कि यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि हम ऐसे देश में जन्मे हैं, जहाँ जल संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। बुंदेलखंड की अद्भुत मिट्टी, इसकी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति और अनुकूल जलवायु इसे जल उपयोग दक्षता के क्षेत्र में एक आदर्श उदाहरण बनाते हैं। मुझे विश्वास है कि जिस प्रकार हमारी जल सहेलियाँ समर्पण और मेहनत से कार्य कर रही हैं, वह दिन दूर नहीं जब बुंदेलखंड जल संरक्षण के मामले में इजरायल जैसे अग्रणी देशों से भी आगे निकल जाएगा।
मुख्य विकास अधिकारी जुनैद अहमद ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि जब मैं झांसी में पदस्थ हुआ, तब लहर ठकुरपुरा के तालाब का पुनर्जीवन मुझे देखने को मिला। एक माह पहले यह तालाब जलकुम्भी से भरा हुआ था, लेकिन आज जल सहेलियों के प्रयासों के कारण यह तालाब पूरे देश में जल संरक्षण का उदाहरण बन गया है। यह छोटे-छोटे प्रयास ही बड़े परिणामों का आधार बनते हैं।
फिक्की की अध्यक्ष पूनम शर्मा ने जल सहेलियों की मेहनत की सराहना करते हुए कहा कि झाँसी की रानी के नाम से मशहूर झाँसी अब जल संरक्षण और नदी पुनर्जीवन में जल सहेलियों के कारण एक नई पहचान बना रहा है। पिछले 10 वर्षों से ये महिलाएँ अपने व्यक्तिगत स्वार्थ को छोड़कर इस कार्य में जुटी हुई हैं, और आज प्रधानमंत्री जी ने उनके प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी है।
परमार्थ के प्रमुख संजय सिंह ने जल सहेलियों की महत्ता को उजागर करते हुए कहा कि आज जल सहेलियाँ केवल हमारे देश में ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बना रही हैं। उनके द्वारा जल संरक्षण, संवर्धन और प्रबंधन के लिए किए जा रहे प्रयासों की गूंज अब पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है। उन्होंने कहा कि जल सहेलियों का यह कारवां और भी आगे बढ़ेगा।
प्रोफेसर एसएस सिंह ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने कहा है कि जहां पानी होता है, वहीं सभ्यताएँ विकसित होती हैं। जल सहेलियाँ आज उसी परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं। उनका यह प्रयास न केवल जल संरक्षण में महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज में महिलाओं की भूमिका को भी सशक्त बनाता है | कार्यक्रम का सञ्चालन शिक्षाविद एवं वरिष्ठ समाजसेवी डॉ नीति शास्त्री ने किया। कार्यक्रम के अंत में मानसिंह राजपूत के द्वारा सभी समाचार पत्रों का आभार व्यक्त किया जिन्होंने जल सहेलियों के प्रयासों को उजागर किया।
कार्यक्रम में अमर उजाला के संपादक अमरनाथ, मंडलीय अर्थ एवं संख्या अधिकारी एस.एन.त्रिपाठी, प्रोफ़ेसर अनुपम सोनी, शशिकांत पाण्डेय सहित एक सैकड़ा से अधिक जल सहेलियां उपस्थित रही।