मेडिकल कॉलेज उरई में गरीब मरीज बाहर की दवा लेने और बाहर जांचे करवाने को मजबूर
उरई/जालौन (अनिल शर्मा)। चिकित्सा जिसकी आवश्यकता वैसे तो हर छोटे बड़े इन्सान को रहती है किन्तु सरकारी संसाधनों से जुड़ी हुई चिकित्सा खासतौर से गरीबों के लिये विशेष महत्वपूर्ण है। इसी को लेकर जनपद जालौन के मुख्यालय उरई में स्थापित राजकीय मेडीकल कालेज जालौन के प्राचार्य डॉ. अरविन्द त्रिवेदी से विस्तृत वार्ता हुई। इस मौके पर हमारे साथ आफिशियल उरई एवं रेल लांच के सम्पादक वरिष्ठ पत्रकार अनिल शर्मा।
इस मोके पर प्राचार्य डॉ. त्रिवेदी से मेडीकल कालेज उरई में उपलब्ध सुविधाओं, मरीजों के इलाज को और सुलभ बनाने के लिये देखते हुये निकट भविष्य में मेडीकल कालेज में बढ़ने वाले संसाधनों जैसे कि डायलासिस की दो नई मशीनों की उपलब्धता शीघ्र होने के सम्बन्ध में बताया गया इसके अतिरिक्त मरीजों द्वारा उठाई जाने वाली सबसे बड़ी समस्या डॉक्टरों द्वारा बाहरी दवा लिखने के सम्बन्ध में भी बातचीत हुई हालांकि प्राचार्य ने कहा कि हमारे यहां 95 प्रतिशत दबायें उपलब्ध हैं अगर ऐसा है तो इसके बारे में हम पता करेंगे।
एक सवाल के उत्तर में प्राचार्य ने बताया कि मेडीकल कालेज में उपलब्ध स्टाफ आवश्यकता के हिसाब से काफी कम है लगभग 35 परसेन्ट स्टाफ की कमी है। खासतौर सबसे ज्यादा आवश्यकता वाले मामलों में जैसे मेडीसन विभाग, सर्जरी और स्त्री रोग विभाग में सटाफ की कमी है।
हृदय सम्बन्धी रोगों के लिये अभी यहां अलग से कोई विभाग नहीं है मेडीसन वाले डॉक्टरों से ही काम चलाया जा रहा प्रारम्भिक इलाज के बाद मरीज को रिफर करना हमारी मजबूरी है। उन्होंने यह भी बताया कि सर्जरी विभाग में सर्जनों की कमी तो है ही लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि सर्जरी विभाग में तो प्रोफेसर साहब ही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे व्यवस्थायें बना रहे हैं जिससे मरीजों को इलाज में सहूलियत मिले।