हर गांव कोरोना के मुहाने पर,प्रवासी मजदूरों ने बढ़ाया खतरा

मण्डलायुक्त बोले,ग्राम स्तर से लेकर वार्ड तक निगरानी समिति करेगी निगरानी
झांसी। कोरोना का कहर पूरी दुनिया में दहशत फैला रहा है। देश में भी इसके संक्रमण की गति में अचानक तेजी आ गई है। वहीं प्रदेश में भी इसका प्रभाव जोरों पर है। बुन्देलखण्ड में प्रवासी मजदूरों की वापसी के बाद कोरोना संक्रमितों की संख्या में खासा इजाफा हो रहा है। शनिवार की शाम तक मण्डल में कुल संक्रमितों की संख्या 52 जा पहुंची। जबकि 10-12 दिन पहले तक मण्डल के किसी भी जनपद में एक भी मरीज नहीं था। जालौन में संक्रमण की शुरुआत 26 अप्रैल को एक चिकित्सक और उसकी पत्नी से हुई थी। जबकि झांसी में शहर के व्यस्ततम क्षेत्र से 59 वर्षीय ऐसी महिला पाॅजिटिव आई थी। जो अपने घुटनों का उपचार कराने मेडिकल काॅलेज पहंुची थी। वहीं ललितपुर में यह शुरुआत आज से ही हुई है। वह भी जिला अस्पताल के कर्मचारी की मौत के बाद। जब उसके कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट पाॅजिटिव आई तो पिछले 45 दिनों से ग्रीन जोन में चल रहे ललितपुर जनपद में हड़कम्प मच गया।
24 मार्च से देश में कोरोना विभीषिका को देखते हुए पूरे देश में लाॅकडाउन की घोषणा कर दी गई थी। बाद में इसे गंभीरता को देखते हुए बढ़ाया भी जा रहा है। अप्रैल माह के अन्तिम सप्ताह तक मण्डल के तीनों जनपदों में यह माना जा रहा था कि सभी ने कोरोना वाॅयरस की जंग जीत ली है। हालांकि देश के प्रधानमंत्री मोदी और प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ इस बात को लेकर लगातार गंभीर थे। और लोगों को जागरुक करते हुए अपने घरों में रहने की अपील कर रहे थे। उनकी अपील का असर लोगों पर दिखा भी। लेकिन बाद में लोगों ने इसे हल्के में लेना शुरु कर दिया। और लोगों को ऐसा लगा जैसे वे कोरोना से लड़ाई जीत गए हैं। लोग बेवजह ही सड़कों पर निकलते रहे। उधर प्रवासी और इसी मौके का फायदा उठाते हुए 26 अप्रैल को मण्डल के जनपद जालौन में पहला कोरोना पाॅजिटिव डा.सुनील के रुप में सामने आया। यह चैकाने वाली खबर थी। और उसके बाद उसकी पत्नी भी पाॅजिटिव आ गई। उसके बाद यह संख्या बढ़ती ही गई। और शनिवार को अचानक 5 केस पाॅजिटिव मिलने के साथ ही 30 पर जा पहुंची। जबकि पहले कोरोना संक्रमित मरीज डा.सुनील की लखनऊ में उपचार के दौरान मौत हो गई। वहीं 28 अप्रैल को मण्डल के जनपद झांसी में पहला पाॅजिटिव केस मेडिकल काॅलेज मंे खुद चलकर पहुंचा था। उसे कोई कोरोना के लक्षण नहीं थे,बल्कि वह 59 वर्षीय महिला तो अपने घुटनों के दर्द का उपचार कराने पहुंची थी। जांच में भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट पाॅजिटिव आने के बाद हड़कम्प मच गया। उसकी कोई भी टैªवल हिस्ट्री नहीं थी। महज दस-बारह दिनों में ही यह संख्या बढ़कर 20-21 तक जा पहुंची। इन संक्रमितों में से दो की मौत हो गई है। इनमें से दोनों ही अपनी बीमारी के उपचार के लिए मेडिकल काॅलेज पहुंचे थे। जबकि 3 लोगों के स्वस्थ होने की पुष्टि प्रशासन कर चुका है। वहीं शनिवार को एक महिला पाॅजिटिव पाए जाने की खबर जोरों पर थी। हालांकि देर शाम तक प्रशासन ने इसकी पुष्टि नहीं की थी।
जबकि लाॅकडाउन के शुरु होने के बाद से आज तक ग्रीन जोन में चल रहे मण्डल के जनपद ललितपुर का भी मिथक आज टूट गया। वहां पर जिला अस्पताल में तैनात कर्मचारी की दो दिन पूर्व हालत बिगड़ने के बाद उसे उपचार के लिए मेडिकल काॅलेज झांसी में भर्ती कराया गया था। उसकी उपचार के दौरान बीते शाम मौत हो गई। नियमानुसार उसके भर्ती होते ही उसका सैंपल कोरोना टेस्ट के लिए भेज दिया था। उसकी रिपोर्ट आज शनिवार को आई जिसमें वह पाॅजिटिव पाया गया। इसके बाद से जनपद समेत मेडिकल काॅलेज में हड़कम्प मचा हुआ है। मेडिकल स्टाॅफ भी खौफ में आ गया है कि कहीं वे भी तो उक्त 36 वर्षीय असलम निवासी ललितपुर के संपर्क में आकर संक्रमित तो नहीं हो गए। वहीं दो दिन पूर्व ही जनपद झांसी के जलालपुरा गांव के एक व्यक्ति को भी कोरोना पाॅजिटिव आया था। जबकि वह भी अपने हाथ में गनशाॅट का उपचार कराने आया था। इन दोनों ही मरीजों को उपचार के लिए खुले मंे प्राईवेट रुम में रखा गया था। बाद में दोनों ही पाॅजिटिव निकले। इसके बाद से मेडिकल काॅलेज प्रशासन में दहशत साफ देखी जा रही है। इसके भय को जाहिर करते हुए बीते रोज कर्मचारियों ने काॅलेज के बाहर जाम लगाकर सीएमएस से अपनी शिकायत भी की थी।
गांवों में पहुंचे प्रवासी मजदूरों की देखरेख मंे लापरवाही
अब तक लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर जाने अनजाने में विभिन्न महानगरों से गांवों में जा घुसे हैं। ऐसे में जिला प्रशासन ने गांव स्तर पर ब्लाॅक की स्वास्थ टीम को उनकी जांच करने और निगरानी करने के लिए लगाया गया था। तीनों जनपदों में करीब डेढ़ हजार से ज्यादा गांव हैं। उन गांवों में प्रवासी मजदूर बिना किसी जानकारी के ही घर जा पहुंचे हैं। प्रत्येक गांव में यह संख्या कम से कम 50 है। ऐसे में गांव के लोग उनको अपने घरों में दुबकाए बैठे हैं। और प्रशासन का सहयोग भी नहीं कर रहे। यही नहीं स्वास्थ टीम का भी यह आलम है कि कई गांवों में अभी तक टीम ने ऐसे लोगों की जानकारी ग्राम रोजगार सेवक से फोन पर तो कई बार ली है। पर उनका परीक्षण करने टीम आज तक नहीं गई। यह घोर लापरवाही है।
प्रत्येक गांव में है खतरा, स्वास्थ विभाग का सहयोग इनका भी है दायित्व
बुन्देलखण्ड के सभी सातों जनपदों में करीब 25 लाख प्रवासी मजदूर विभिन्न महानगरों व राज्यों से अपने घर लौटे हैं। शासन और प्रशासन ने इनकी करुण पुकार सुनकर उन्हें उनके गांव तक पहुंचाने का इंतजाम भी किया। अब जबकि सब अपने घरों में जा पहुंचे हैं तो उनका भी अपने देश के प्रति यह कर्तव्य बनता है कि वे स्वास्थ विभाग व प्रशासन का सहयोग करते हुए अपने आप को चैक करवाएं। हालांकि जो भी प्रवासी मजदूर प्रशासन की नजर में आए हैं उनमें से अधिकांश का थर्मन स्क्रीनिंग किया गया है। लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो अपने घरों में पहुंचकर परिजनों के बीच हैं। हालांकि वे भले ही घर से बाहर नहीं निकलते पर उनके घरवाले तो उनसे मिलकर पूरे गांव के लोगों के बीच जा रहे हैं। जोकि बहुत बड़ा खतरा बना हुआ है।
ग्राम से लेकर महानगर के वार्ड तक निगरानी करेगी निगरानी समिति
इस संबंध में जब मण्डलायुक्त सुभाष चन्द्र शर्मा से बात की तो उन्होंने बताया कि निश्चित रुप से यह बड़ा खतरा है। लोगों को स्वयं का दायित्व समझते हुए शासन और प्रशासन का सहयोग करना चाहिए। यह उनके अपनों के लिए भी घातक है। फिर भी ग्राम से लेकर महानगर के वार्ड स्तर तक उन्होंने निगरानी समिति का गठन किया है। जो गांव में ग्राम प्रधान के नेतृत्व में व महानगर के वार्ड में पार्षद के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति के रुप में ऐसे लोगों को चिन्हित करते हुए उनका स्वास्थ परीक्षण कराते हुए उन्हें 14 दिन तक उनके घरों में क्वारेंटाइन रखेगी।

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