सैन्य अधिकारी के फरमान के विरूद्व प्रतियोगी युवाओं ने लगाई उच्च न्यायालय से गुहार
झांसी। सेना मे धर्म शिक्षक बनने का सपना संजोए युवाओं का मनसूबा उस वक्त धूमिल हो गया। जब सेना भर्ती के लिए फिजीकल एवं मेडिकल परीक्षा मे उत्तीर्ण होने वालों को प्रवेश पत्र निर्गत कर 23 फरवरी 2020 को लिखित परीक्षा में सम्मिलित होने का फरमान जारी किया गया था। लेकिन दो दिन पहले शास्त्री की उपाधि को स्नातक उपाधि के समकक्ष नहीं मानते हुए लिखित परीक्षा मे शामिल होने से इंकार कर दिया। इस अन्याय के खिलाफ करीब 40 युवाओं ने उच्च न्यायालय मे आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई।
भारतीय सेना मे धर्मशिक्षक के रुप मे सेवा का जज्बा रखने वाले शास्त्री की उपाधि प्राप्त युवाओं ने 88, 89, 90 कोड में भर्ती के लिए आवेदन किए थे। उनके आवेदनों को स्वीकार कर सेनाभर्ती कमान ने इन युवाओ को भर्ती रैली एवं मेडीकल जांच मंे शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। सेना भर्ती कमान के बुलाने पर युवाओं ने भर्ती रैली एवं चिकित्सीय जांच में सम्मिलित होकर सफलता हासिल की है। इसी सफलता के आधार पर इन युवाआंे को 10 जनवरी 2020 को प्रवेश पत्र जारी कर 23 फरवरी 2020 को होने वाली लिखित परीक्षा मे प्रतिभाग करने का निर्देश दिया। प्रवेश पत्र मिलने पर युवाओ ने परीक्षा मे सफलता प्राप्त करने के लिए रात दिन एक कर अध्ययन करना शुरु कर दिया। लेकिन जवानों को धर्म की शिक्षा देने का मनसूबा संजोए शास्त्री उपाधि धारी युवाओं के सपने उस वक्त धमिूल हो गये जब ग्वालियर के एक सैन्य अधिकारी ने शास्त्री की उपाधि को स्नातक उपाधि के समकक्ष नही मानते हुए लिखित परीक्षा मे शामिल नहीं होने का फरमान दिया। इन युवाओ ने अपने प्रति होने वाली अन्याय के खिलाफ उच्च न्यायालय मे याचिका दायर कर शास्त्री की उपाधि को स्नातक उपाधि समकक्ष मानते हुए न्याय दिए जाने की गुहार लगायी।