सम्मान के साथ कई दिनों बाद जौहर नगर में घर-घर जलेंगे चूल्हे
महिलाओं ने संस्थान के लोगों को पूरे मन से दिया आशीर्वाद
झांसी। किसी का पति मंडी में पल्लेदारी कर अपने परिवार की तीन बेटियों और एक बेटे समेत पत्नि का पेट भरता था,तो कोई कबाड़ बेचकर अपने घर का खर्च चलाने के साथ तीन-तीन बेटियों को पाल रहा था। लेकिन कोरोना के कहर के चलते लाॅक डाउन के बाद से जब सड़कों पर निकलना तक बंद हो गया तो रोज कमाकर भोजन करने वाले लोगों के बच्चे भूख से तड़फ उठे। ऐसे में कुछ दिनों तक तो कुछ लोगों के परिवारों के पानी पी कर रहे तो कुछ दिनों तक पैकेट में आए खाने पर निर्भर रहकर दिन गुजारे गए। रविवार को जौहर नगर के ऐसे 134 परिवारों को परमार्थ संस्था द्वारा राशन किट वितरित करने के बाद सम्मान के साथ घर-घर में चूल्हे जलाकर भोजन पकाया जाएगा। साथ ही भरपेट खाने के विचार के साथ लोगों ने संस्था को मन से आशीष दी।
संसार के भी विभिन्न रुप हैं। एक ओर नगर में जहां चमकते हुए आलीशान बंगलों में खाने तक की चाह न रखने वाले लोग रहते हैं। तो दूसरी ओर रोटी के लिए खून पसीना एक कर शाम को आई कमाई से अपने व अपने परिवार के पेट को भरने वाले भी हैं। नगर के सीपरी बाजार क्षेत्र में स्थित जौहर नगर उन झोपड़ पट्टियों में से एक इलाका है। इस नगर को जौहर नगर इसलिए कहते हैं क्योंकि यहां घूमंतू जाति के लोहारों की बस्ती है। जो सालों से यहां निवास करते हुए अपने जीवन को चला रहे हैं। रविवार को जौहर नगर के 134 परिवारों के चेहरों पर खुशी थी। सभी अपने घरों में राशन सामग्री ले जाकर पकाने के लिए उत्सुक थे। राशन किट के वितरण का शुभारम्भ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक अजय जी,परमार्थ संस्था के निदेशक व वल्र्ड वाॅटर कांउंसिल के सदस्य संजय सिंह व एडीआर के प्रदेश समन्वयक अनिल शर्मा ने अपने हाथों से लोगों को सौंपकर किया।
राशन पाकर खिल उठे चेहरे
एक पैर से दिव्यांग सईट आल मड्डी राशन किट पाकर खुशी से फूली नहीं समा रही थी। उसने बताया कि उसकी तीन बेटियां हैं और एक बेटा। उसका पति कबाड़े का कार्य करता है। उस पर प्रतिदिन का भोजन निर्भर करता है। उसने बताया कि लाॅकडाउन के बाद से उसके घर खाने के लाले पड़ गए। कुछ दिन उसकी तीनों बेटियों और बेटे समेत पति ने पानी पीकर गुजारा तो कुछ दिनों बाद भोजन पैकेट के सहारे दिन कटे। लेकिन आज उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। क्योंकि आज परमार्थ समाजसेवी संस्था ने एक राशन किट उसे दी थी। इस राशन किट में करीब 15 दिनों के लिए 5 सदस्यीय परिवार को भोजन की भरपूर व्यवस्था थी। उसने संस्था के सभी लोगों आशीर्वाद देते हुए उनकी लम्बी उम्र की कामना की।
रुपा बोली,सम्मान के साथ घर-घर जलेगा चूल्हा
राशन किट लेने पहुंची दीपक की स्वाभिमानी पत्नि रुपा ने बताया कि उसकी तीन बेटियां हैं। तीनों बेटियों परी,पलक व महक को कुछ दिन तो भूखा रहना पड़ा। लेकिन जल्द ही कुछ समाज सेवियों और फिर परमार्थ ने उनका क्षेत्र संभाल लिया था। रुपा ने बताया कि लोग दो रुपए का बिस्कट का पैकेट देकर उन्हें खरी-खोटी सुनाकर गए। दो दिन पूर्व उन्हें उस अपमान भरे खाने के लिए जाहिल,गंवार व गंदे लोगों की संज्ञा दी गई। लेकिन आज परमार्थ संस्थान ने जो हमारे लिए किया उसने हमारे घरों में सम्मान के साथ चूल्हा जलवाया। अब हमें किसी के भोजन पैकेट पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। बल्कि 15 दिनों तक हम अपने घर बनाए भोजन को खा सकेंगे। उसने बताया कि जब पंक्तिबद्ध खड़े कराकर हमें छोटा सा बिस्कट पैकेट दिया जाता था तो हम शर्म से जमीन में गढ़ जाते थे। उसने कहा कि यदि किसी को कुछ करना है तो परमार्थ की तरह करे।
ऐसी मद्द किसी ने नहीं की
जौहर नगर के लोगों को राशन किट बंटवाने में मदद कर रहे अर्जुन ने बताया कि यह संस्था हम मजदूरों के लिए देवता बनकर आई है। मद्द तो बहुत लोग कर रहे हैं। लेकिन इस प्रकार मन से मद्द अन्य किसी ने नहीं की है।
किट में ये वस्तुएं हैं शामिल
परमार्थ के निदेशक संजय सिंह ने बताया कि राशन किट में 25 किलो आटा,5 किलो दाल,10 किलो चावल,1 किलो तेल,हल्दी,धनियां,मिर्च,गरम मसाला समेत सैनिटेशन किट भी शामिल है। पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि किट में करीब दो-ढाई हजार रुपए की सामग्री है। जो एक परिवार के 5 लोगों को 15 दिन तक के लिए पर्याप्त होगी। उन्होंने बताया कि जौहर नगर के सभी लोगों को इस सामग्री को भिजवाने में रुपा व अर्जुन का अहम रोल रहा है। इसके लिए इन लोगांे ने खूब पहल की।