सत्ताधारी दल के नेता ने प्रशासन को खड़ा कियाकटघरे में
मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रशासन पर लगाया निर्देशोंकी अवहेलना का आरोप
झांसी। सप्ताहभर मंे जनपद में 9 कोरोना पाॅजिटिव मरीज सामने आ चुके हैं। अचानक लाॅकडाउन केएक माह से ज्यादा गुजरने के बाद कोरोना मरीजों में हुई इस बढ़ोत्तरी कादोष प्रशासन पर लगाया जा रहा है। इसके लिए जनपद प्रशासन को कटघरे में खड़ाकरते हुए सत्ताधारी दल के नेता ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखते हुए प्रशासन पर उनके निर्देशोंकी अवहेलना करने का आरोप लगाया है। साथ ही जनपद को इस हाल में पहुंचाने काठीकरा भी उन्होंने प्रशासन पर मढ़ा है।भारतीय जनता पार्टी में बुन्देलखण्ड-कानपुर क्षेत्रके मंत्री का दायित्व संभाल रहे सुधीर सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथको पत्र लिखते हुए बताया कि पूरा विश्व कोरोना की विभीषिका से जूझ रहा है।देश के हालातों पर काबू पाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी लाॅकडाउन कारास्ता अख्तियार किया। प्रदेश में लाॅकडाउन के 32 दिन से अधिक बीत जाने के बाद भीजनपद ग्रीन जोन में था। यहां एक भी कोरोना पाॅजिटिव मरीज नहीं था। ऐसा मानाजा रहा था कि कोरोना से चल रही जंग में वीरांगना भूमि ने बाजी मार ली है।किन्तु अचानक सप्ताह पहले 28 अप्रैल सोमवार को जनपद का यह भ्रम टूट गया और पहलाकोरोना पाॅजिटिव मरीज नगर के व्यस्ततम इलाका ओरछा गेट में मिल गया। उसके बाद तोजैसे होड़ सी लग गई। सप्ताह भर में ही जनपद आॅरेंज जोन में जा पहुंचा। इस पूरीकहानी के पीछे मजदूरों को खाना बांटने वाले समाजसेवियों को माना जा रहा है।उन्होंने कहा कि प्रशासन इसका ठीकरा भले ही दूसरों के सर पर फोड़े किंतु प्रशासनिकलापरवाही के कारण जनपद में महामारी का विकराल देखने को मिल रहा है। आखिर क्यों नहीं किया गया मजदूरों का प्रबंध ?उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि मुख्यमंत्री द्वाराआदेश निर्गत किए गए थे कि अन्य प्रदेशों से आए मजदूरों को उनके गंतव्य तकभिजवाने एवं उनके भोजन इत्यादि की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की जाए। किंतु ऐसा नहींकिया गया समाचार पत्रों एवं सोशल मीडिया की फोटो से इसका प्रमाण मिलता है।उन्होंने बताया कि इसी कारण मजदूरों द्वारा स्वतः प्राइवेट वाहनों का सहारा लिया गयाऔर बिना किसी निगरानी के निकल गए। यही नहीं प्रशासन द्वारा निर्देशों के बाद भीमजदूरों के भोजन पानी की व्यवस्था नहीं की गई। इसके चलते स्थानीय लोगों द्वाराभोजन वितरण मनमाने ढंग से बिना अनुमति के ही किया गया। उन्होंने पूछा कि क्याप्रशासन के पास भोजन की कमी थी, जो एनजीओ या जनसामान्य द्वारा भोजन इत्यादिवितरित करने की छूट दी गई ? सुरक्षा के प्रोटोकॉल का पालन करने में लापरवाही क्योंकी गई ? इस दौरान भोजन वितरण करते समय सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान नहींरखा गया।शुरु से ही क्यों नहीं हुए फल व सब्जी विक्रेताओं केपहचान पत्र जारीपूर्व में कई बार नगर निगम प्रशासन से फल एवं सब्जीविक्रेताओं को पहचान पत्र जारी कर सुरक्षा प्रोटोकॉल के पालन के साथ सब्जी फलदिखाने की मांग की गई। इस पर नगर आयुक्त ने कोई ध्यान नहीं दिया। यही नहींदो-तीन दिन तक तो सब्जी वार्डों तक पहुंची भी नहीं। अब जब 40 दिन लॉक डाउनके बीत चुके और संक्रमण ने नगर में डेरा डाल लिया है तब 2 मई से फल व सब्जीविक्रेताओं को पहचान पत्र जारी किए जा रहे हैं। यही नहीं उनके लिए ड्रेस कोड लागूकरने की बात नगर आयुक्त द्वारा की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस घोर लापरवाही एवंउदासीनता की भी जांच अपेक्षित है।हाॅट स्पाॅट के लोगों को सामान के लिए बुलाया जारहा दुकानों पर उन्होंने इस ओर भी ध्यानाकर्षित कराया कि हॉट स्पॉटबनाकर जो क्षेत्र सील किया गया है। वहां घर-घर सामग्री वितरण का दायित्व प्रशासनका है। ताकि कोई घर से बाहर न निकले। किंतु ऐसा नहीं हो पा रहा है बल्किआसपास के दुकानदारों का नंबर प्रशासन ने सार्वजनिक किया है। यही नहीं दुकानदार कोघर पर सामान भेजने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके इतर दुकानदार फोन करने वालेको ही दुकान पर बुला कर सामान उपलब्ध करा रहे हैं। ऐसे में लोग बाहर निकलकरसामग्री लेने पर विवश हैं। …ताकि कहीं अन्यत्र न हो लापरवाहीउन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि इस तरह की उदासीनताव लापरवाही करने एवं मुख्यमंत्री के निर्देशों की अवज्ञा करने वाला लोगों के खिलाफदंडात्मक कार्रवाई अमल में लाई जाए। इससे प्रदेश में एक बेहतर संदेश जाए और अन्यत्रकहीं ऐसी लापरवाही का उदाहरण देखने को दोबारा न मिले।