संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा में ध्रुव चरित्र की कथा का बड़ा मनमोहक वर्णन किया
जहाँ छल कपट मन मे मिलावट हो वहाँ प्रभु का वास नही करते है – रोहित शास्त्री
टोड़ीफतेहपुर।श्रीमद्भागवत कथा को सुनने बाले भक्तों की भीड़ निरन्तर बढ़ती जा रही है।कस्वा के मुहल्ला नजरगंज में नई माता मन्दिर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा कथावाचक पंडित श्री रोहित कृष्ण शास्त्री के मुखारविन्द से श्रवण कराई जा रही है।
राजेश राय एवं नन्दकिशोर बन्देया ने श्रीमद्भागवत महापुराण का पूजन और कथा व्यास जी को तिलक लगाकर आर्शिवाद लिया।
कथावाचक ने श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन की कथा में बताया कि भोलेनाथ द्वारा समुद्र मन्थन के समय निकले विष का पान करने से सभी देवों में केवल भोलेनाथ को ही महादेव कहा जाता है,आगे कथा में बताया की भगवान को मिलावटी वस्तु बिल्कुल पसन्द नही है भगवान श्रीकृष्ण को इसी लिए मक्खन पसन्द है जिसमे कोई मिलावट नही होती है।
कथा व्यास ने बताया कि भगवान दिखावटी भक्ति से प्रसन्न नही होते है,तीन भक्तियो के बारे में बताते हुए कहा परीक्षा,समीक्षा एव प्रतीक्षा सबुरी ने प्रतीक्षा की तो भगवान ने स्वयं कुटिया में आकर झूठे बेर खाये,सती ने परीक्षा ली तो भस्म होना पड़ा और समीक्षा सूपनखा ने ली तो नाक कान कटवाना पड़े।ध्रुव चरित्र की कथा का विस्तार से वर्णन किया गया जिसे भागवत प्रेमियों ने बड़े ध्यान मग्न होकर रसपान किया,
कथा में आये श्रीमद्भागवताचार्य पंडती श्री अतुल कृष्ण शास्त्री का सभी कथा प्रेमियों ने तिलक लगाकर माल्यार्पण किया और उनका आशीर्वाद ग्रहण किया मंचासीन अतुल कृष्ण शास्त्री ने अपने उदबोधन में बताया कि मनुष्य को कभी चरित्र नही खोना चाहिए संसार मे केवल चरित्र की ही पूजा होती है मनुष्य ने अगर चरित्र खो दिया तो समझो उसने अपना सर्वस्तय खो दिया।
कथा के अंत मे परीक्षत ने श्रीमद्भागवत महा पुराण की मंगल आरती उतारी।कथा में ठाकुरदास यादव,सूरज सिंह यादव,चंद्रप्रकाश समाधिया,बिहारीलाल पांचाल,दामोदर रायकबार,बद्री दादा,सगुन घोष,लक्ष्मी प्रसाद लोधी,मनमोहन झा एव अखलेश बन्देया सहित सेकड़ो लोगो ने कथा का रसपान किया।