श्रीमद भागवत कथा एवं कृष्ण में कोई भेद नहीं – पूजा किशोरी जी

श्री सिद्धनाथ धाम टहरौली में श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन अमर कथा का वर्णन

टटहरौली(झाँसी) – श्री सिद्धनाथ धाम टहरौली प्रांगण में आयोजित हो रही श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर भगवताचार्य श्री पूजा किशोरी जी ने भागवत कथा में अमर कथा एवं शुकदेव जी महाराज के जन्म के वृतान्त का विस्तार से वर्णन किया। कथा के द्वितीय दिवस पर सैकड़ों की संख्या में भक्तों ने पूजा किशोरी जी के श्रीमुख से कथा का श्रवण किया। द्वितीय दिवस की कथा की शुरुआत श्रीमद भागवत आरती एवं विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गयी । पूज्य श्री पूजा किशोरी जी ने कहा कि भागवत और कृष्ण में कोई भेद नहीं हैं । हमको भागवत और कृष्ण में भेद नहीं करना चहिये । उन्होने कहा कि संतों की सेवा में जो आनंद है वो किसी अन्य चीज में नहीं । पूजा किशोरी जी ने बताया की गरुण पुराण में लिखा है कि आप देवताओं से पहले अपने पितरो को मना लें क्योंकि देवता तो आपको आपके कर्म के अनुसार फल देते है लेकिन अगर पितृ एक बार खुश हो जाए तो वे वो सब भी दे देते हैं जो तुम्हारे भाग्य में नहीं भी होता है । और अगर पितृ अप्रसन्न हो जाए तो वो सब छीन भी लेते हैं । पूज्य श्री पूजा किशोरी जी ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा की भागवत वही अमर कथा है जो भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाई थी । यह पावन कथा सुनना भी सबके भाग्य में नहीं होता । जब भगवान् भोलेनाथ से माता पार्वती ने उनसे अमर कथा सुनाने की प्रार्थना की तो बाबा भोलेनाथ ने कहा की जाओ पहले यह देखकर आओ की कैलाश पर तुम्हारे या मेरे अलावा और कोई तो नहीं है क्योंकि यह कथा सबके नसीब में नहीं है । माता पूरा कैलाश देख आयीं पर शुक के अपरिपक्व अंडो पर उनकी नज़र नहीं पड़ी । भगवान भोलेनाथ जी ने माता पार्वती जी को जो अमर कथा सुनाई वह भागवत कथा ही थी। लेकिन मध्य में पार्वती जी को निद्रा आ गई । और वो कथा शुक ने पूरी सुनली । यह भी पूर्व जन्मों के पाप का प्रभाव होता है कि कथा बीच में छूट जाती है । भगवान की कथा मन से नहीं सुनने के कारण ही जीवन में पूरी तरह से धार्मिकता नहीं आ पाती है । जीवन में श्याम नहीं तो आराम नहीं । भगवान को अपना परिवार मानकर उनकी लीलाओं में रमना चाहिए । गोविंद के गीत गाए बिना शांति नहीं मिलेगी ।धर्म, संत, मां-बाप और गुरु की सेवा करो । जितना भजन करोगे उतनी ही शांति मिलेगी । संतों का सानिध्य हृदय में भगवान को बसा देता है, क्योंकि कथाएं सुनने से चित्त पिघल जाता है और पिघला चित ही भगवान को बसा सकता है । श्री शुक जी की कथा सुनाते हुये पूज्य श्री पूजा किशोरी जी ने बताया कि श्री शुक जी द्वारा चुपके से अमर कथा सुन लेने के कारण जब शंकर जी ने उन्हें मारने के लिए दौड़ाया तो वह एक ब्राह्मणी के गर्भ में छुप गए । कई वर्षों बाद व्यास जी के निवेदन पर भगवान शंकर जी इस पुत्र के ज्ञानवान होने का वरदान दे कर चले गए । व्यास जी ने जब श्री शुक को बाहर आने के लिए कहा तो उन्होंने कहा कि जब तक मुझे माया से सदा मुक्त होने का आश्वासन नहीं मिलेगा, मैं नहीं आऊंगा । तब भगवान नारायण को स्वयं आकर ये कहना पड़ा की श्री शुक आप आओ आपको मेरी माया कभी नहीं लगेगी और उन्हें आश्वासन मिला तभी वह बाहर आए । यानि की माया का बंधन उनको नहीं चाहिए था । पर आज का मानव तो केवल माया के बंधन में ही चारो ओर बांधता फिरता है । और बार बार इस माया के चक्कर में इस धरती पर अलग अलग योनियों में जन्म लेता रहता है । जब आपके पास भागवत कथा जैसा सरल माध्यम दिया है जो आपको इस जन्म मरण के बन्धन से मुक्त कर देगा और नारायण के धाम में सदा के लिए आपको स्थान मिलेगा ।श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन श्री सिद्धनाथ धाम टहरौली के तत्वावधान में एवं श्री श्री 1008 श्री सुखदेव दास त्यागी जी महाराज के पावन सानिध्य में किया जा रहा है । आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुरभि शोध संस्थान वाराणसी के निदेशक अमित चतुर्वेदी रहे ।कथा पंडाल में यजमानों सहित मुख्य रूप से इंजी. रीतेश मिश्रा “राघवेन्द्र” , भूपेन्द्र राय, आनन्द रावत, अशोक कुशवाहा, संतोष गोस्वामी, पुष्पेन्द्र सागर परसा, प्रवीण उपाध्याय उर्फ बाँके महाराज, आरिफ खान, नरेन्द्र रजक, समेत कई गणमान्य अतिथियों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिती दर्ज करवायी ।

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