श्याम रसोई पिछले 16 दिन से भर रही 400 आदिवासियों के पेट

डा.एसएन सुब्बाराव पाठशाला में लोगों के सहयोग से संचालित है रसोई
झांसी। कोरोना के कहर से बचने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने देश भर में 21 दिन का लाॅकडाउन लागू किया है। ऐसे में विकासशील देश भारत में मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले लोग हलाकान हो गए। हालांकि केन्द्र और राज्य सरकारों ने किसी भी व्यक्ति को भूखा न सोने देने का संकल्प लिया। तब तक लाॅकडाउन के दो-तीन दिन गुजर गए थे। ऐसे में भारतीय संस्कृति का स्वाभिमान जाग्रत हो उठा। समाजसेवी संस्थाओं ने आगे आकर लोगों के दुखों को अपना बनाते हुए उन्हें भोजन की व्यवस्था कराई। ऐसा ही एक उदाहरण नगर के सुदूर वार्ड बिजौली में देखने को मिला। वहां एक श्याम की रसोई ने आदिवासी बस्ती के करीब 400 लोगों के भोजन की व्यवस्था अपने हाथों में ले ली। और उन सभी आदिवासियों के भूखे पेट को भरने का काम शुरु कर दिया।
श्याम रसोई के संचालक कमलेश राय हैं। वह डा.एसएन सुब्बाराव की प्रेरणा से अपना सबकुछ छोड़कर पिछले 5 वर्षों से आदिवासी बस्ती की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके जीवन में डा.सुब्बाराव जी की प्रेरणा एक नया उजाला लेकर आई थी। उन्हें उस समय राष्ट्रीय युवा योजना का प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया गया था। इस सबके बाबजूद सुब्बाराव जी द्वारा बोला गया कथन-दुनिया में दौलत तो सब कमाते हैं लेकिन जो असहाय लोगांे की सेवा करते हैं वास्तविक जीवन वही जीते हैं,ने उनका पथ परिवर्तित कर दिया। खाटू श्याम को अपना सबकुछ मानने वाले कमलेश राय ने बताया कि लाॅकडाउन के पहले दिन उन्होंने लोगों को खिचड़ी खिलाई थी। उसके बाद से लगातार भोजन व्यवस्था चलाई जा रही है। पहले तो उन्हंे यह लग रहा था कि यह कार्य चल भी सकेगा या नहीं। बाद में खाटू श्याम की कृपा से उन्हें लोगों ने उन्हें सहयोग किया और पिछले 16 दिनों से आदिवासी बस्ती के लोगों समेत अन्य लोगों को भोजन प्रसाद खिला पा रहे हैं।
5 वर्ष पूर्व आदिवासी बस्ती के बच्चों को बनाई गई पाठशाला बनी रसोई
कमलेश राय ने बताया कि बिजौली रिलायंस पेट्रोल पंप के पीछे स्थित आदिवासी बस्ती में 24 अक्टूबर 2015 को डा. एसएन सुब्बाराव आए थे। उन्होंने उन्हें उस बस्ती को संभालने की प्रेरणा दी थी। उसी के चलते पहले हम लोगों ने आदिवासी के लोगों को खुले में नीम के नीचे बैठा कर शिक्षा देना शुरु किया था। बाद में एक छप्पर डालकर पाठशाला बनाई गई। आज यही पाठशाला पिछले 16 दिनों से लोगों के लिए श्याम की रसोई बनकर उनके भूखे पेट भर रही है।
अगर मन में विश्वास हो तो कुछ असम्भव नहीं
’भूखे को भोजन प्यासे को पानी’ कार्यक्रम के तहत चलाई जा रही ’श्याम रसोई’ के संचालक कमलेश राय ने बताया की अगर मन में विश्वास हो कोई भी कार्य असम्भव नहीं है। हमारे देश में महामारी आई और हर जगह लाॅकडाउन किया गया। उस समय मुझे आदिवासी परिवारों का ख्याल आया कि इन लोगो का पेट केसे भरेगा? खाटू श्याम बाबा की कृपा से यहां श्याम रसोई की शुरुआत हुई और आज प्रत्येक दिन बिजौली क्षेत्र के आदिवासी परिवार के अलावा भी और परिवारों के महिला,पुरुष, बच्चे यहां आकर भोजन प्राप्त करते हैं। सभी के सहयोग से असंभव काम भी संभव हो गया। सभी के सहयोग से लगातार चल रही श्याम रसोई में बड़े आनंद और प्यार के साथ सभी जरूरतमंद लोगों को भोजन मुहैया कराया जा रहा है।
इनका रहता है सहयोग
कमलेश राय ने बताया कि श्याम रसोई में रवि, रिंकू, सपना, दया, रामकुमार, जगदीश ,आकाश, नंदलाल ,मंजू आदि लोगों ने अपना अपना सहयोग दिया। उन्होंने बताया कि ये ऐसे लोग हैं जो हर समय अपना सहयोग श्याम रसोई को देते हैं। अन्य लोगों की सूची तो मेरे पास ही नहीं है। उनका बाबा भला करेगा।

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