शाखा संगम का उद्देश्य स्वयंसेवक के मन में विश्वास पैदा करना: डा.वीरेन्द्र जायसवाल
झांसी। जिस प्रकार द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के दौरान विराट रुप दिखाकर अर्जुन को उपदेश देकर युद्ध के लिए तैयार किया था। ठीक उसी प्रकार वर्तमान में डा.हैडगेवार ने स्वयंसेवक को तैयार करते हुए राष्ट्र की हर प्रकार की चुनौती से निपटने के लिए तैयार किया। उक्त विचार शाखा संगम कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता सह क्षेत्र कार्यवाह पूर्वी उत्तर प्रदेश डा.वीरेन्द्र जायसवाल ने रविवार को राजकीय इण्टर काॅलेज में व्यक्त किए।
मुख्य वक्ता डा. वीरेन्द्र जायसवाल ने कहा कि यह सौभाग्य है कि वीरांगना की भूमि पर नदियों के संगम के स्थान पर स्वयंसेवकों का संगम हो रहा है। उन्होंने द्वापर में कृष्ण का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि पाप का नाश करने के लिए भगवान कृष्ण ने पांडवों का आह्वान किया था। कुरुक्षेत्र में जब अर्जुन युद्ध के लिए पहुंचे तो अपने ही परिजनों,गुरुओं व भाइयों को देखकर मोह और भय से कांपने लगे। अर्जुन को मोह और भय से निकालने के लिए भगवान कृष्ण ने विराट रुप में उनका पथ प्रदर्शन करने के लिए गीता का उपदेश दिया था। दसवें अध्याय पर पहुंचते-पहुंचते अर्जुन का मोह दूर हो गया था। फिर भी केशव ने उन्हें आठ अध्याय और सुनाए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भी केशव के रुप में जन्मे डा.हैडगेवार ने लोगों का मोह और भय दूर करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का निर्माण किया। द्वापर में श्रीकृष्ण ने सत्य और धर्म की स्थापना के लिए कार्य किया। उसी प्रकार वर्तमान केशव ने हिन्दु राष्ट्र को परम वैभव तक पहंुचाने का संकल्प लिया। राजकीय इण्टर काॅलेज में शाखा संगम आयोजन के उद्देश्य को प्रकट करते हुए उन्होंने बताया कि विराट स्वरुप की तर्ज पर इस संगम के माध्यम से स्वयंसेवक में विश्वास पैदा करना है। उन्होंने नागरिकता संशोधन बिल पर बात करते हुए कहा कि जब पीड़ितों के समायोजन की बात की तो विरोधी शक्तियां सक्रिय हो गई। एक माह होने को आया। आगजनी,दंगे और लूटपाट की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं। लगातार धरने प्रदर्शन आज तक चल रहे हैं। संघ के सामने आज फिर से चुनौती आ गई है। संघ समाज को शिक्षित कर एकता के सूत्र में बांधने का कार्य कर रहा है। जिस प्रकार भगवान केशव बिना डिगे अपने कार्य में पूर्ण समपर्ण से लगे रहे। उसी प्रकार संघ भी अपने दायित्वों को पूर्ण समर्पित भाव से करने में लगा हुआ है। और अखण्ड भारत को परम वैभव के शिखर तक पहुंचाने का कार्य कर रहा है। संघ का कार्य हथियार उठाना नहीं है। बल्कि समाज का मार्ग दर्शन करना है। केशव की तरह कार्य करते हुए जयचंद जैसे गुनाहगारों को ढूढ़ना है। सामाजिक समरसता को चरितार्थ करते हुए पूरे विश्व में भारत को अग्रणी शक्ति बनाने के लिए भी संघ दृण संकल्पित है। उसी का प्रयोग आज महानगर के 11 नगरों की 85 बस्तियों की 94 शाखाओं में किया जा रहा है। इस अवसर पर मंचासीन अधिकारी विभाग संघ चालक राजेश्वर दयाल खरे,महानगर संघ चालक सतीश शरण अग्रवाल समेत अपनी-अपनी शाखाओं में हजारों की संख्या में स्वयंसेवक मौजूद रहे।