लाॅकडाउन: 25 मार्च से अब तक कंट्रोल रूम में आ चुके करीब चार हजार लोगों के काॅल्स
झांसी। कोरोना वाॅयरस के चलते हुए लाॅकडाउन में जब पूरी दुनिया घरों में कैद होने को मजबूर थी। उस समय जनपद के कोरोना योद्धा लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए दिन रात एक किए हुये थे। विभागीय आंकड़े के अनुसार लाॅकडाउन के दौरान जनपदीय कंट्रोल में रूम से हजारों लोगों की मदद की गई। कई बार तो ऐसी स्थिति भी बन गई मानो यह कंट्रोल रूम ही वार रूम में बन गया हो। हर समस्या का तत्काल निराकरण। चाहे वह खाने की समस्या हो या फिर इलाज व जांच की शिकायत।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी जीके निगम ने बताया कि जिलाधिकारी के नेतृत्व में पूरी टीम काम कर रही हैं। लाॅकडाउन के दौरान डा. सतीश चंद्रा, एसीएमओ डा. एनके जैन, डा. प्रशांत और डा. नीरज समेत अधिकांश स्टाफ लोगों की सेवा में जुटा रहा। उन्होंने बताया कि 25 मार्च से अभी तक 3900 से अधिक लोगों के फोन कंट्रोल रूम में आ चुके हैं। इनमें से ज्यादातर काॅल्स प्रवासियों की जानकारी देने के लिये आई हैं। सीएमओ ने बताया कि लाॅकडाउन लागू होने के बाद पहले तो अधिकांश फोन खाने की आपूर्ति के लिए आए। फिर अचानक जिले में प्रवासी आने लगे जिसके बाद काम का दबाव काफी बढ़ गया। कई डॉक्टर्स तो तीन-तीन दिन नहीं सोये। कंट्रोल रूम की घंटी 24 घंटे बजने लगी। लेकिन टीम के लोग दिन-रात, बिना किसी छुट्टी के कार्य करने लगी रही। इसके बाद अन्य राज्यों के दक्षिण और पश्चिम के प्रवासी झांसी की सीमा से क्रॉस करने लगे। रोकने के बावजूद हर कोई अपने घर जाने को बेताब था। एक ओर प्रशासन सभी को खाना और परिवहन मुहैया करने में व्यस्त था वही इन सभी की स्वास्थ्य जांच और जरूरतमंद का उपचार करना खुद एक चुनौती थी। क्योंकि इतनी भीड़ में सभी का टेस्ट करने के लिए नहीं रोका जा सकता था। वही जिस तरह प्रवासी ट्रैकों, ट्रैक्टर, ऑटो, बस में भर भर कर आ रहे थे उनमें से बहुतों की स्वास्थ्य स्थिति बहुत खराब थी, जिनका तुरंत उपचार भी किया गया। ऐसे में लोगों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह लापरवाही न करे। अभी सिर्फ अनलॉकडाउन हुआ है, कोरोना अभी भी है।