लाॅकडाउन के बीच बीयू के पाठ्यक्रमों में फीस वृद्धि पर छात्रों में रोष

विरोध में अभाविप ने सोशल मीडिया पर खोला मोर्चा,लाॅकडाउन के बाद आंदोलन की चेतावनी
झांसी। विश्वव्यापी कोरोना महामारी के चलते देश में चल रहे लाॅकडाउन के बीच बुंदेलखंड विश्वविद्यालय प्रशासन का नये सत्र में विभिन्न पाठ्यक्रमों की फीस बढ़ाने का फैसला छात्रों में आक्रोश पैदा कर रहा है। विश्व के सबसे बड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने सोशल मीडिया पर विरोध की मुहिम छेड़ दी है। वहीं यह भी चेतावनी दी है कि लाॅकडाउन खुलने के बाद इस मुद्दे को लेकर वृहद आंदोलन होगा। इस बीच कुलसचिव ने मामले को लेकर कुलपति से बात करने का भी आश्वासन दिया है।
विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि को लेकर दुनिया में छात्रों के सबसे बड़े संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने लॉकडाउन समाप्त होने के बाद आंदोलन की चेतावनी दी है। एबीवीपी के प्रदेश के सोशल मीडिया प्रभारी अजय कुमार तिवारी ने गुरूवार को बताया कि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में शुरू होने जा रहे नये सत्र में विभिन्न पाठ्यक्रमों की शुल्क में बढोतरी की है। यह वृद्धि 50 प्रतिशत से लेकर कुछ पाठ्यक्रमों में तो 90 प्रतिशत तक है। इस विश्वव्यापी विभीषिका के समय जब सरकार लोगों की मदद के लिए इतने पैकेज देने में जुटी है। ऐसे मे बुंदेलखंड जैसे प्रदेश के अति पिछड़े क्षेत्र मे छात्रों की शिक्षा के मुख्य आधार इस विश्वविद्यालय के प्रशासन ने विभिन्न पाठ्यक्रमों मे इतनी अधिक फीस बढ़ाने का फैसला किया है। ऐसा करके विश्वविद्यालय ने छात्रों के सामने पढाई जारी रखने की एक बड़ी समस्या खड़ी कर दी है।
बुन्देलखण्ड के विभिन्न जिलों में सोशल मीडिया पर शुरु हुआ विरोध
यहां शिक्षा ग्रहण करने वाले विभिन्न जिलों जैसे इसमें झांसी समेत महोबा, बांदा, हमीरपुर, उरई, ललितपुर, जालौन आदि निकटवर्ती स्थानों के छात्रों ने सोशल मीडिया पर अपना विरोध प्रकट किया है। अखिल विद्यार्थी परिषद के सैकड़ों छात्रों ने इस संबंध में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री के साथ ही केंद्र के कई मंत्रियों को ट्वीट कर अपना विरोध दर्शाया है। इसके साथ ही संगठन के अनेक छात्रों द्वारा जनसुनवाई पोर्टल के माध्यम से भी विश्वविद्यालय द्वारा की गई शुल्क वृद्धि का विरोध किया गया है। अभाविप प्रशासन से मांग कर रहा है कि शीघ्र ही इस असंवेदनशील एवं अव्यवहारिक निर्णय को वापस लिया जाए। अन्यथा की स्थिति में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद लाॅकडाउन खुलने के उपरांत वृहद आंदोलन कर छात्रों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करेगा।
सूचना को अनदेखा करने के बाद सोशल मीडिया पर शुरु हुआ विरोध
अभाविप के प्रतिनिधि ने साफ किया कि आंदोलन की चेतावनी संगठन ने विश्वविद्यालय प्रशासन को पूरी तरह से सूचित करने के बाद ही दी है। हालांकि सूचना के बाद उनका कोई जबाब नहीं आया है। इस संबंध में संगठन के पदाधिकारियों के साथ मिलकर छात्रों ने कुलपति को छह मई को ज्ञापन भी दिया था जिसमें बताया गया कि लॉकडाउन के दौरान बुंदेलखंड में आर्थिक गतिविधियां रूक जाने से लोगों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गयी। इन विषम हालातों में छात्रों के अभिभावक विश्वविद्यालय की इतनी बढ़ी फीस दे पाने में समर्थ नहीं हो पायेंगे। इसलिए इस संबंध में उचित फैसला लेने का अनुरोध किया गया था। उन्होंने बताया कि लगभग एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा इस संबंध में कोई जवाब नहीं दिये जाने के बाद संगठन ने लॉकडाउन खुलने के बाद आंदोलन की चेतावनी दी है। लेकिन छात्रों के साथ इस वैश्विक आपदा के समय हो रही इस नाइंसाफी के खिलाफ संगठन पुरजोर तरीके से खड़ा है और ऊपर तक अपनी बात पहुंचायी जा रही है।
बोले प्रान्त संगठन मंत्री,लोगों पर भोजन नहीं,ये फीस वृद्धि की बात करते हैं
इस संबंध में विभाग संगठन मंत्री व राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अजय जी ने बताया कि बुन्देलखण्ड को अति पिछड़ा क्षेत्र माना जाता है। लाॅकडाउन के दौर में सभी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। लोगों को दो जून के भोजन की व्यवस्था के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री दिन रात मेहनत कर रहे हैं। लोग जीवन यापन को तरस रहे हैं। उनके घरों में बिजली नहीं है। बिजली का बिल जमा करने की स्थिति में नहीं हैं। वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन को ऐसे विपरीत समय में फीस वृद्धि की याद आ रही है। क्या ये इस प्रदेश से नहीं हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि लोगों की मानसिकता अभी बदली नहीं है।
कुलसचिव ने जताई अनिभिज्ञता,गेंद कुलपति के पाले में डाली
इस सबंध में जब कुलसचिव नारायण प्रसाद से बात की गयी तो पहले तो उन्होंने फीस वृद्धि को ही लेकर अपनी अनभिज्ञता जतायी और मामले को टालने का प्रयास किया लेकिन बार बार पूछे जाने पर कहा कि इस बारे में अंतिम फैसला तो कुलपति ही ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि कल वह मीटिंग में कुलपति के सामने मामले को उठायेंगे और कोशिश करेंगे कि कोई बीच का रास्ता निकाला जा सके।

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