ललित कला संस्थान में खजुराहो की कलात्मक धरोहर पर प्रदर्शनी का हुआ आयोजन
झांसीं। चंदेल कालीन खजुराहो के मंदिर मूर्तिकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। तत्कालीन शिल्पियों द्वारा मूर्तियों को विभिन्न भाव भंगिमाओं में उकेर कर जीवंत स्वरूप प्रदान किया। उक्त उद्गार कुलपति प्रो. जेवी वैशम्पायन ने शुक्रवार को बीयू के ललित कला संस्थान बुंदेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा खजुराहो की कलात्मक धरोहर विषय पर आधारित दो दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए व्यक्त किये।
विशिष्ट अतिथि प्रो. सी सिंह अधिष्ठाता कला संकाय बुंदेलखंड विश्वविद्यालय ने छात्रों को खजुराहो मंदिर के उत्कीर्ण एवं मूर्तिशिल्प की विशेषताओं से अवगत कराते हुए वहां प्रदर्शित मूर्तियों पर प्रकाश डालते हुए विभिन्न अप्सराओं की भाव भंगिमाओं के बारे में जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम मंे डा. मधुबाला श्रीवास्तव, इतिहासकार डा. चित्रगुप्त एवं अनिल कुमार सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए शोधपरख जानकारियां प्रदान की। कुलपति ने संस्थान के छात्रों द्वारा खजुराहो भ्रमण पर गए 40 विद्यार्थियों
एवं शिक्षकों द्वारा चित्रित चित्रों एवं छाया चित्रों की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस दौरान पर एक विवरिणिका का भी विमोचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन डा. श्वेता पांडेय ने किया व सभी का आभार डा. अजय कुमार गुप्ता ने व्यक्त किया। इस मौके पर डा. सुनीता, दिलीप कुमार, जयराम कुटार,
मुकुल वर्मा, आरती वर्मा अजय राव, संजीव गुप्ता, ब्रजेषपाल, माधवी निराला, रेखा आर्या सहित संस्थान के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।