रोजी-रोटी छोड़कर गांव लौटने वालों का मनोबल बढ़ाने का वक्त

झांसी। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में किये गए 21 दिन के लाक डाउन के बीच विभिन्न राज्यों और शहरों से अपने गांव लौटने वालों से इस वक्त बहुत ही धीरज के साथ पेश आने की जरूरत है। ऐसे में सभी की जिम्मेदारी उनके प्रति बढ़ जाती है कि उनके हौसले को बढ़ाने को लोग आगे आएं ताकि कोई भी अपने को अकेला न समझे। इस दौरान अस्थायी स्क्रीनिंग शिविरों व आश्रय स्थलों (क्वेरेनटाइन) में 14 दिनों के लिए रखे गए लोगों को भी समझाएं कि यह उनके अपने और अपनों की भलाई के लिए किया गया है ताकि देश कोरोना वायरस को हराने में सफल हो सके ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. जीके निगम ने बताया कि जो भी लोग बाहर से आ रहे है उनकी स्क्रीनिंग की जा रही है, लेकिन फिर भी कुछ लोग सीधे गांव पहुंच रहे है जिनकी लिस्टिंग आशा और एएनएम के द्वारा की जा रही है। वही उन्होंने बाहर से आ रहे सभी मजदूरों से अपील की, कि खुद से भी जांच के लिए आगे आए और साथ ही जांच के बाद भी 14 दिन तक अपने परिवार से दूरी बनाकर रहे। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के चलते जो स्थिति पैदा हुई है वह स्थायी रूप से रहने वाली नहीं है, कुछ ही दिनों में यह मुश्किल वक्त खतम हो जाएगा और फिर से जिन्दगी चल पड़ेगी। स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी डा. विजयश्री शुक्ला ने बताया कि गांव लौट रहे लोगों की आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से जल्द से जल्द ट्रैकिंग की जा रही है। प्रमुख सचिव-स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने इस बारे में जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र भेजकर इसका कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराने को कहा है। इस काम के लिए आशा कार्यकर्ताओं को अप्रैल और मई में एक-एक हजार रूपये अतिरिक्त प्रतिपूर्ति राशि दी जाएगी। आशा संगिनी को भी इस दौरान क्षेत्र के प्रति अतिरिक्त भ्रमण पर 100 रूपये और अधिकतम 500 रूपये प्रतिमाह दिए जायेंगे ।

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