रोगी की पीड़ा हरना चिकित्सक का धर्म: प्रान्त प्रचारक प्रमुख

चिकित्सक के रुप में कोरोना से लड़ रहे धरती के भगवान: अनिल श्रीवास्तव
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कोरोना फाईटर्स को किया प्रोत्साहित
झांसी। कोरोना के कहर में जहां लोग अपने परिवार के साथ सहमे हुए घरों में लाॅकडाउन का समय निकाल रहे हैं। ऐसे में सच्चे योद्धाओं की तरह चिकित्सक अपने परिजनों को छोड़ युद्धक्षेत्र की तरह कोरोना से पीड़ितों का उपचार करने के लिए तप्पर हैं। रोगी की पीड़ा हरना एक चिकित्सक का धर्म है। और चिकित्सकों के रुप में धरती के भगवान जोखिमों का सामना करते हुए अपने मरीजों की सेवा करना अपना परम कर्तव्य समझ रहे हैं। कोरोना से युद्ध करने वाले ऐसे 29 सच्चे वीरों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने प्रोत्साहित करते हुए सम्मानित किया। चिकित्सकों ने भी अब कई गुना ज्यादा जोश के साथ लोगों की सेवा करते हुए कोरोना को हराने का संकल्प लिया।
मेडिकल काॅलेज के आॅडिटोरियम में कोविड-19 को लेकर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया था। इसके समाप्त होते ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों ने पहुंचकर 29 चिकित्सकों समेत 35 कोरोना योद्धाओं को सम्मानित किया। इससे पूर्व उनका उत्साह वर्धन करते हुए प्रान्त प्रचारक प्रमुख राजेन्द्र जी ने रामायण सीरियल का उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि जब लक्ष्मण को शक्ति लगी तो विचार किया गया कि इस संकट की घड़ी से कैसे उबरें। तब शत्रु रावण की नगरी में रहने वाले सुषेन वैध को लाने को हनुमान जी को भेजा गया। हनुमान जी वैधराज को उनके भवन समेत ले आए। किन्तु वैधराज ने क्रोध नहीं जताया। बल्कि अपनी समस्या बताते हुए अपने को शत्रु पक्ष का बताया। इस पर मर्यादा पुरुषोत्तम समेत तमाम विद्वानों ने वैध का धर्म बताते हुए कहा कि रोगी की पीड़ा हरना ही वैध का सच्चा धर्म है। उसके बाद वैधराज ने उनका उपचार किया। उन्होंने कहा आज वर्तमान में ऐसी परिस्थिति फिर से पैदा हो गई है। ऐसे में सभी चिकित्सक अपने धर्म का डटकर सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भगवान सभी चिकित्सकों को संरक्षण दे। वहीं सहप्रान्त कार्यवाह अनिल श्रीवास्तव ने कहा कि यह मानव जाति पर संकट की घड़ी है। इस संकट के दौर में हम ईश्वर को याद कर रहे हैं। इस महामारी से बचने के लिए देश में 21 दिन का लाॅकडाउन किया गया था। उसके बाद इसकी अवधि को और बढ़ा दिया है। इस लाॅकडाउन में सभी अपने परिजनों के साथ घरों में दहशतजदा होकर जी रहे हैं। जबकि इसके खतरे को जानते हुए भी चिकित्सक अपने परिवार को छोड़कर कोरोना के कहर से जूझ रहे हैं। इस समय लोग अपने भगवान को पुकार रहे हैं। ऐसी विकट घड़ी में भी धरती के भगवान बनकर चिकित्सक उनकी सेवा करने में पीछे नहीं हट रहे। चिकित्सक मरीजों के सबसे निकट होते हुए उनका उपचार करने में जुटे हैं। मानवता को बचाने का कार्य भी कर रहे हैं। इसीलिए संघ आज इनके पास आया है। इनका उत्साह वर्धन करते हुए हमें इनके सम्मान के लिए आगे आना चाहिए। आज भारत की ओर विश्व के सभी देश देख रहे हैं। और भारतीय संस्कृति को अपनाकर कोरोना से मुक्त होना चाहते हैं। सभी भारतीय संस्कारों को सराह रहे हैं। हम कम से कम इन लोगों की पीठ तो थपथपा ही सकते हैं। जिला कोरोना समिति के अध्यक्ष डा.एनएस सेंगर ने संघ के कार्य की सराहना करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश में आई हर आपदा में पीछे से कार्य करने में हमेशा तत्पर रहते हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना समिति के नोडल अधिकारी के लिए डा.जकी सिद्धीकि ने उन्हें स्वयं नोडल अधिकारी बनाने को कहा था। उन्होंने कहा कि खतरों में काम करना उनके डीएनए में शामिल होता है। जैसे सेना को खतरों से लड़ते हुए देश की रक्षा करने में आनन्द आता है। वैसे ही हमें रिस्क लेकर अपने मरीजों की सेवा करने का जुनून होता है। वहीं प्राचार्य डा.साधना कौशिक ने कहा कि मेडिकल काॅलेज उनका परिवार है। वह ईश्वर का धन्यवाद करती हैं कि उन्हें ऐसा परिवार दिया। जो बिना कहे ही अपने कर्तव्य के लिए आगे रहता है। उन्होंने सभी चिकित्सकों की प्रसंशा करते हुए कहा कि लोगों के स्नेह मिलने के साथ हमारा दायित्व और बढ़ जाता है। इस अवसर पर प्रान्तमार्ग प्रमुख कुलदीप, प्रान्त सह सम्पर्क प्रमुख रामकेश, विभाग प्रचारक अजय व मृगेन्द्र उपस्थित रहे।
इन चिकित्सकों का हुआ सम्मान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा प्राचार्या डा.साधना कौशिक,डा.एनएस सेंगर,डा.संजया शर्मा,डा.योगेश चन्द्र यादव,डा.अंशुल जैन, सीएमएस डा.हरिश्चन्द्र समेत कुल 29 चिकित्सक व 6 अन्य स्टाॅफ को सम्मानित किया गया।

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