योग भारत की प्राचीन परम्परा, वर्तमान में हुई महत्वपूर्ण: कुलसचिव

बी.यू. एन.एस.एस. ने मनाया 6 वां विश्व योग दिवस
झांसी। कोरोना वायरस के इस दौर में शरीर की रक्षात्मक एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखना बहुत आवश्यक है। शरीर की रक्षात्मक एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता के निर्माण के लिए योग रामबाण की तरह सहायक है। योग भारत की सदियों पुरानी प्राचीन परंपरा है और वर्तमान में विश्व स्तर पर इसका प्रचलन निरंतर बढ़ता जा रहा है तथा आज के कोरोना काल के सदर्भ में यह और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। यह विचार बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की कुलसचिव नारायण प्रसाद ने राष्ट्रीय सेवा योजना, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा आज आयोजित विश्व योग दिवस के अवसर पर व्यक्त किया।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष कोरोना महामारी को देखते हुए विश्व योग दिवस की थीम ‘घर में योग परिवार के साथ ही योग’ रखा गया है। प्राचीन भारतीय ग्रंथों का उल्लेख करते हुए उन्होंने योग की भारतीय परंपरा को लोगों के सामने रखा।
इस अवसर पर राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान नई दिल्ली के संस्कृत के आचार्य तथा वर्तमान में भास्कर जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान में अनौपचारिक संस्कृत प्रशिक्षक रजनी कांत ने बताया कि योग के द्वारा हम अपने मन शरीर को काबू में कर सकते हैं। यह हमारे सर्वांगीण विकास में सहायक होता है। स्किल इंडिया की योग प्रशिक्षक ज्योति सिंह ने योग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि निरंतर योग करने से शरीर में इसी प्रकार की व्याधि नहीं उत्पन्न होती है। शतायु प्राप्त करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण हथियार हो सकता है।
आज आयोजित ऑनलाइन योग कार्यक्रम के दूसरे सत्र में रजनीकांत ने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों एवं कार्यक्रम अधिकारियों को योग का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने अनुलोम विलोम, शीर्षासन, भुजंगासन एवं अन्य कई आसनों का लाभ और करने के तरीके प्रतिभागियों को बताये।
कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम समन्वयक डा.मुन्ना तिवारी ने किया जबकि अतिथियों, योग प्रशिक्षकों तथा प्रतिभागियों का आभार झांसी नोडल अधिकारी डॉ उमेश कुमार ने व्यक्त किया। इस अवसर पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय एवं संबद्ध महाविद्यालयों के राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी एवं स्वयंसेवक शामिल रहे।

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