मॅहगें होते डीजल के बीच, कैसे कम होगी, कृषि लागतय: डा. सुनील तिवारी

6 वर्ष में केन्द्र ने पेट्रोल व डीजल पर एक्साइज शुल्क से कमाया 18 लाख करोड
झांसी। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पंचायत चुनाव समिति के केन्द्रीय सदस्य डा. सुनील तिवारी ने कान्फ्रेंस के माध्यम से प्रेस को बताया कि मोदी सरकार लगातार 19 दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमत बढा रही है। इस प्रकार स्वामी नाथन आयोग की सिफारिश के अनुरूप कृषि के लागत मूल्य को कैसे कम किया जा सकता है ?
डाॅ तिवारी ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा पिछले छह सालों से पेट्रोल के एक्साइज शुल्क में 23.78 रू प्रति लीटर एवं डीजल पर 28.37 रू प्रति लीटर की अतिरिक्त बढ़ोत्तरी की गई है। पेट्रोल पर एक्साइज शुल्क में 258 प्रतिशत वृद्धि तथा डीजल के एक्साइज शुल्क में 820 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जिससे इन छह सालों में केन्द्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज शुल्क से लगभग 18 लाख करोड रूपया लाभांश अर्जित किया है। 26 मई 2014 को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता संभाली थी। तब भारत की तेल कम्पनियों को कच्चा तेल 108 डॉलर प्रति बैरल मिल रहा था, जो तत्कालीन डॉलर -रूपया के अंतराष्ट्रीय भाव के अनुसार 6,330 रूपये प्रति बैरल बनता था। जिसका मतलब तेल लगभग 40 रूपये प्रति लीटर के भाव पड रहा था। जबकि पेट्रोल,डीजल और एलपीजी (प्रति सिलेंडर ) मई 2014 में 71.51 रूपये प्रति लीटर, डीजल 57.28 रूपये प्रति लीटर तथा एलपीजी 414 रूपये प्रति सिलेंडर उपलब्ध था। डाॅ सुनील तिवारी ने कहा कि आज 24 जून 2020 को कच्चे का अंतराष्ट्रीय भाव 43.41 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल है,जो डाॅलर -रूपये भाव के अनुसार 3288.71 रूपये प्रति बैरल पडता है। एक बैरल में 159 लीटर होते है। ऐसी स्थिति में कच्चे तेल की कीमत 21 रूपये प्रति लीटर से कम पडती है।

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