मां का दूध देता है बच्चे को कोरोना से लड़ने की ताकत
जनवरी माह से मार्च तक 8 हजार से अधिक गर्भवतियों का हो चुका है प्रसव
झांसी। कोविड-19 के दौरान नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान देना बहुत ही जरूरी है, क्योंकि रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के चलते उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे में उनका स्तनपान कराया जाना जरूरी है। और मां का दूध बच्चे को कोरोना से लड़ने की ताकत देगा।
जिला महिला अस्पताल की सीएमएस एवं स्त्री प्रसूति विशेषज्ञ डॉ. वसुधा अग्रवाल का कहना है कि कोरोना वायरस मां के दूध में नहीं पाया जाता परन्तु खांसने या छींकने पर बूंदों और एरोसेल के माध्यम से फैलता है। यदि मां पूरी सावधानी के साथ अपने स्वच्छता व्यवहार पर ध्यान दे तो स्तनपान करने पर भी संक्रमण से बचा जा सकता है। बच्चे को जन्म के एक घंटे के भीतर पीला गाढ़ा दूध पिलाना इसलिए भी जरूरी होता है क्योंकि वही उसका पहला टीका होता है जो कि कोरोना जैसी कई बीमारियों से बच्चों की रक्षा कर सकता है। इसके अलावा मां के दूध में एंटीबॉडी होते हैं जो बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाते हैं और जिनकी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है उनको कोरोना से आसानी से बचाया जा सकता है। शुरू के छह माह तक बच्चे को केवल मां का दूध देना चाहिए क्योंकि उसके लिए वही सम्पूर्ण आहार होता है। इस दौरान बाहर का कुछ भी नहीं देना चाहिए, यहां तक कि पानी भी नहीं , क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा रहता है।
जनवरी से मार्च तक कुल 8439 गर्भवतियों का हुआ प्रसव
स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ो के अनुसार जनपद में जनवरी माह से मार्च तक कुल 8439 गर्भवतियों को प्रसव हुआ है। अस्पतालों को भी यह निर्देश है कि यदि मां कोविड-19 से संक्रमित है या उसकी सम्भावना है, तब भी स्वास्थ्य कर्मचारी स्वच्छता के सारे मानकों का पालन करते हुए बच्चे को जन्म के पहले घंटे में मां का दूध पिलाना सुनिश्चित करें। इसके साथ ही बच्चे के छह माह का होने तक केवल स्तनपान कराने के लिए प्रेरित करें। इसके अलावा यदि बच्चा बीमार है और वह कोविड-19 से संक्रमित है या उसकी सम्भावना है तो भी मां उसे पूरी सावधानी के साथ अपना दूध पिलाती रहे।
मास्क पहनकर कराएं स्तनपान
बदलते मौसम के दौरान यदि मां बुखार, खांसी या सांस लेने में तकलीफ महसूस कर रही है तो वह बच्चे को पूरी सावधानी के साथ स्तनपान कराये। ऐसी स्थिति में मास्क पहनकर ही बच्चे को स्तनपान कराना चाहिए। खांसते और छींकते समय अपने मुंह को रुमाल या टिश्यू से ढक लें । छींकने और खांसने के बाद , बच्चे को अपना दूध पिलाने से पहले और बाद में अपने हाथों को साबुन और पानी से 40 सेकण्ड तक धोएं। किसी भी सतह को छूने से पहले उसे साबुन या सेनेटाइजर से अच्छी तरह से साफ कर लें।
असमर्थता की स्थिति में कटोरी में निकालकर दे सकते हैं मां का दूध
यदि मां स्तनपान कराने की स्थिति में नहीं है तो वह मास्क पहनकर अपना दूध साफ कटोरी में निकालकर और साफ कप या चम्मच से बच्चे को दूध पिला सकती है। इसके लिए भी बहुत ही सावधानी बरतने की जरूरत है कि अपना दूध निकालने से पहले हाथों को साबुन व पानी से अच्छी तरह से धोएं, जिस कटोरी या कप में दूध निकालें उसे भी साबुन और पानी से अच्छी तरह धो लें। इसके बाद अच्छे से साफ किये गए कप या चम्मच से ही दूध पिलाएं। यदि स्थिति बहुत ही गंभीर है तो बच्चे को दूध पिलाने और उसकी देखभाल के लिए किसी अन्य महिला की भी मदद ली जा सकती है।