महिला एवं पुरुषों ने रखा निर्जला एकादशी का व्रत, मंदिरों में रही भीड़
टोड़ीफतेहपुर। कहा जाता है कि सभी व्रतों में यह निर्जला एकादशी का व्रत श्रेष्ठ माना गया है, इससे भगवान विष्णु अत्यंत शीघ्र प्रसन्न होकर व्रत रखने वाले प्राणी के समस्त पाप नष्ट करते हैं और उसे सही कर्ममार्ग पर ले आते हैं। ऐसा वेद पुराणों में वर्णित है। यह व्रत महिलाओं एवं पुरुषों द्वारा किया जाता है। व्रत में खाना तो दूर पानी तक नही पिया जाता है। साल में यह व्रत एक बार पड़ता है, जो बड़ा कठिन है। इस व्रत को भीमसेन व्रत भी कहा जाता है।
यह निर्जला एकादशी का व्रत बृषभ और मिथुन राशि की संक्रति के बीच ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की जो एकादशी आती है उसका नाम निर्जला है। इस एकादशी के व्रत में अन्न तो दूर जल भी ग्रहण नही किया जाता है। एवं यह व्रत सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन द्वादशी को सूर्योदय तक रखा माना जाता है। अगले दिन पूजा करने के उपरान्त व्रत पारण होता है। कस्वा के मंदिरों में महिला एव पुरुषों की बड़ी भारी भीड़ रही। शाम के समय महिलाओं द्वारा मंदिरों में संकिर्तन व भजनों का गायन कर पूजन अर्चन के साथ इसकी कथा को गाया गया।