मसूढ़े से लगातार खून बहे तो हो जाएं सतर्क,हीमोफीलिया की हो सकती है दस्तक
मेडिकल काॅलेज समेत 26 केन्द्रों पर होता है हीमोफीलिया का इलाज
झांसी। यदि आपके बच्चे के दूध के दांत टूटने एवं नये दांत निकलते समय मसूढ़े से लगातार खून बह रहा हो। तो सावधान हो जाएं यह हीमोफीलिया के लक्षणों में से एक है, यह कहना है मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. ओमशंकर चैरसिया का।
डॉ. चैरसिया बताते है कि हीमोफीलिया रक्तस्राव संबंधी एक अनुवांशिक बीमारी है। इससे ग्रसित व्यक्ति में लम्बे समय तक रक्त स्राव होता रहता है। यह खून में थक्का जमाने वाले आवश्यक फैक्टर के न होने या कम होने के कारण होता है। रक्तस्राव चोट लगने या अपने आप भी हो सकता है। मुख्यतः रक्तस्राव जोड़ो, मांसपेशियों और शरीर के अन्य आंतरिक अंगों में होता है और अपने आप बन्द नहीं होता है। यह एक असाध्य जीवन पर्यन्त चलने वाली बीमारी है लेकिन इसको कुछ खास सावधानियां बरतने से और हीमोफीलिया प्रतिरोधक फैक्टर के प्रयोग से नियंत्रित किया जा सकता है। भारत में 80 हजार से एक लाख लोग हीमोफीलिया से ग्रसित हैं। इसमें से अबतक केवल साढ़े 18 हजार की पहचान हो पायी है।
हीमोफीलिया के प्रकार
यदि हीमोफीलिया रोगी के रक्त में थक्का जमाने वाले फैक्टर 8 की कमी हो तो इसे हीमोफीलिया ए कहते है। यदि रक्त में थक्का जमाने वाले फैक्टर 9 की कमी हो तो इसे हीमोफीलिया बी कहते है। इस प्रकार मरीज को जिस फैक्टर की कमी होती है वह इंजेक्शन के जरिये उसकी नस में दिया जाता है। इससे रक्तस्राव रूक सके यही हीमोफीलिया की एक मात्र औषधि है। रक्त जमाने वाले फैक्टर अत्यधिक महंगे होने के कारण अधिकांश मरीज इलाज से वंचित रह जाते हैं।
वर्तमान में 108 मरीज करा रहे इलाज
विश्व हीमोफीलिया दिवस पर डॉ. चैरसिया ने बताया कि सरकार द्वारा पिछले कई वर्षों से हीमोफीलिया रोग से ग्रसित मरीजों के लिए फेक्टर 8 और फेक्टर 9 निःशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है। जिससे बुंदेलखंड क्षेत्र के सभी हीमोफीलिया के मरीज लाभान्वित हो रहे है। वर्तमान में हीमोफीलिया के फेक्टर 8 की कमी के 100 मरीज तथा फेक्टर 9 की कमी के 8 मरीज पंजीकृत है। यदि कोई भी मरीज इस बीमारी के संपर्क में आता है तो मेडिकल कॉलेज के वार्ड नंबर 5 बाल रोग ओपीडी या बाल रोग इमरजेन्सी में संपर्क कर सकता है।
बचाव एवं सावधानी
हीमोफीलिया से ग्रस्त व्यक्ति सही समय पर दवाई व इंजेक्शन ले, और इलाज पूरा कराये। नित्य आवश्यक व्यायाम करे। रक्त संचारित रोग (एचआईवी, हीपाटाइटिस बी व सी आदि) से बचाव करें। दांतों की सुरक्षा के बारे में शिक्षित करना। विवाह से पहले महिला पुरुष रक्त की जांच कराये। गर्भावस्था के दौरान इसकी जांच कराये। रोगी का हीमोग्लोबिन 11 या 12 बनाए रखने की कोशिश करे।
और ध्यान देने की आवश्यकता: हीमोफीलिया सोसाइटी
हीमोफीलिया सोसाइटी के सचिव विनय मनचंदा ने कहा कि हीमोफीलिया के इलाज कि सुविधा प्रदेश के 26 स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपलब्ध है। लेकिन धन अभाव में हीमोफीलिया प्रतिरोधक फैक्टर की सप्लाई नहीं हो पा रही है। यूपी के गत वर्ष 42.3 करोड़ दिये गए थे। इस वर्ष के लिए 50 करोड़ की मांग की गई है लेकिन आज बजट रिलीज नहीं हुआ है। उन्होने यूपी सरकार से हीमोफीलिया के मरीजों के लिए प्राथमिकता से कार्य करने की अपील की है। गौरतलब है कि हीमोफीलिया दिवस हर वर्ष 17 अप्रैल को मनाया जाता है।