मनरेगा में लाॅकडाउन 1 से 3 तक मजदूरों को नहीं मिला रोजगार,दिया जाए भत्ता

कांगे्रस ने उठाया मुद्दा,कहा 15 दिन काम ना मिलने पर है भत्ता देने का प्राविधान
झांसी। प्रवासी मजदूरों की अपने गांवों में वापसी के बाद से जहां योगी सरकार उन्हें उनके गांव में ही रोजगार मुहैया कराते हुए उनके पलायन को रोकने पर काम कर रही है। तो दूसरी ओर कांग्रेस प्रदेश सरकार को चारों ओर से घेरने में जुटी हुई है। शहर कांग्रेस कमेटी ने बुधवार को एक कान्फ्रेंस के जरिए मनरेगा पर कई सवाल खड़े किए हैं। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पंचायत चुनाव समिति के केन्द्रीय सदस्य डाॅ सुनील तिवारी ने कान्फ्रेंस में मनरेगा एक्ट की जानकारी देते हुए बताया कि इसमें प्राविधान है कि यदि मनरेगा में 15 दिन लगातार जाॅब कार्ड धारक को काम नहीं मिलता है,तो वह जाॅब कार्ड धारक बेरोजगारी भत्ते को प्राप्त करने का अधिकारी होता है ।
उन्होंने बताया कि लाॅक डाउन 1 से लाॅक डाउन 3 के बीच उत्तर प्रदेश में लाखों की तादाद में मनरेगा कार्ड धारकों को घर बैठने पर मजबूर होना पड़ा। उन्हें लगातार 15 दिन काम न मिलने कारण, मनरेगा एक्ट के तहत बेरोजगारी भत्ता मिलना चाहिए। डाॅ तिवारी ने बताया कि कुछ कार्डधारक तो ऐसे हैं, जिन्हें अपने ग्राम से 5 किलोमीटर की परिधि में कोई काम नहीं मिला और वह मनरेगा के तहत ईकाई समूह में काम करने से स्वत वंचित हो गए। जबकि प्रशासन द्वारा मनरेगा कार्ड धारक को उसके निवास स्थान की 5 किलोमीटर की परिधि में, उसे काम उपलब्ध कराए जाना चाहिए था। कांफ्रेंस में नगर निगम में कांग्रेस सभासद दल के नेता सुलेमान मंसूरी, वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक तिवारी, पूर्व जिला महामंत्री अमीर चंद आर्य, पूर्व जिला सचिव सुरेश नगाइच आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे ।
कांग्रेस की मांग पर बढ़ाया गया 40 हजार करोड़ मनरेगा बजट
मनरेगा का बजट इस साल के लिए 61 हजार करोड़ रूपये किया गया था,कांग्रेस की मांग के बाद में इसमें 40 हजार करोड़ अतिरिक्त दिया गया। हालांकि उसमें सरकार की तरफ से कहीं भी नहीं कहा गया कि यह रूपया सामग्री के रूप में व्यय होगा या मनरेगा में श्रमिक की मजदूरी के लिए। वैसे भी विगत वर्षो में सामग्री के ऊपर बजट में आवंटित धनराशि का आधे से ज्यादा बजट खर्च होता रहा है। फलतः आधे से ज्यादा आवंटित बजट सामग्री में खर्च होने कारण, मनरेगा के मजदूरी के भुगतान हेतु कम धनराशि ही मिल पाती है।
कांग्रेस ने मांगा मनरेगा के तहत 200 दिन का काम
वही कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी सहित उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव श्रीमती प्रियंका वाड्रा ने भी सरकार से माॅग की है कि कोरोना के दुष्काल के कारण प्रवासी श्रमिकों और मनरेगा श्रमिकों को कम से कम 200 दिन का काम अवश्य मिलना चाहिए, क्योंकि ये अर्थ व्यवस्था की लिक्विटी और समाजिक ताने बाने के लिए अच्छा संकेत होगा।
इसीलिये केन्द्रीय श्रम मंत्रालय ने जारी नहीं किए बेरोजगारी के आंकड़े
डाॅ तिवारी ने उत्तर प्रदेश सरकार के आँकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि यू पी में 179.77 लाख मनरेगा के जाॅब कार्ड धारक हैं। जबकि इनमें से 81.17 ही सक्रिय जाॅब कार्ड धारक है। वहीं श्रमिकों की संख्या 250.16 लाख है और सक्रिय श्रमिक 99 .85 हैं। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि श्रमिकों के सापेक्ष रोजगार के अवसर यूपी में कम थे और उन्हें विगत वर्षो में बढाया नहीं गया। अब स्थिति और ज्यादा गंभीर है। इसीलिये केन्द्रीय श्रम मंत्रालय द्वारा बेरोजगारी के आंकड़े जारी नहीं किये गये।

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