भगवान चैतन्य महाप्रभु के 5 दिवसीय प्राकट्योत्सव समारोह 6 मार्च से: ब्रजभूमिदास

झांसी। भगवान चैतन्य महाप्रभु भक्तावतार हैं। उन्होंने 532 वर्ष पूर्व 1486 ई. में भक्तों को शरण लेना सिखाने के लिए यह अवतार धारण किया। वह करुणावतार हैं। सब पर कृपा करते हैं। इसलिए कोरोना वाॅयरस से डरें लेकिन करुणावतार से डरने की जरुरत नहीं है। उनकी शरण में आना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने कलयुग में गुप्त रुप से भक्तावतार धारण कर लोगांे को शरणागत होकर भक्ति करना सिखाने के लिए यह अवतार धारण किया था। यह कहना है इस्काॅन मंदिर झांसी के अध्यक्ष ब्रजभूमि दास का। वह गुरुवार को भगवान चैतन्य महाप्रभु के 5 दिवसीय प्राकट्योत्सव की जानकारी पत्रकारांे से सांझा कर रहे थे।
मंदिर अध्यक्ष ब्रजभूमि दास ने कहा कि भगवान को दया का सागर कहते हैं। अपने भक्तों को शरणागत होने का तरीका सिखाने के लिए ही भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीराधारानी के रुप,रंग व भाव को अपनाते हुए गौरवर्ण अवतार धारण किया था। और इसीलिए भगवान चैतन्य महाप्रभु को गौर सुन्दर नाम से भी पुकारा जाता है। उन्होंने यह रुप पाश्चात्य जगत का उद्धार करने और श्री भगवत गीता के उपदेशों को वर्णित कर मनुष्य को शरण लेने और भक्तिमय होने का तरीका सिखाया। उन्होंने 500 वर्ष पूर्व यह भविष्यवाणी कर दी थी कि विश्व के सभी नगर ग्रामों में उनके नाम का प्रचार-प्रसार होगा। और बाद में यह वीणा इस्काॅन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद ने उठाया। उन्होंने कहा कि आम मनुष्य की अपेक्षा भक्तों को भगवान की बातों में ज्यादा विश्वास होता है। कोरोना वाॅयरस के लिए लोगों को जागरुक करते हुए उन्होंने कहा कि मंदिर में फूलों की होली खेली जाती है। इससे किसी को कोई नुकसान नहीं होगा। साथ उन्होंने कहा कि रंगों और गुलाल से लोगों को बचने की जरुरत है। हम सबका दायित्व है कि हम सावधानी बरतें। इस्काॅन भी इसके लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। मंदिर अध्यक्ष ने जानकारी देते हुए बताया कि गौर पूर्णिमा पर शुक्रवार 6 मार्च से रविवार 8 मार्च तक दर्शन आरती,गुरुपूजा एवं श्री चैतन्य महाप्रभु कथा प्रातः 8 से 10 बजे तक आयोजित होगी। 8 मार्च को हरिनाम संकीर्तन यात्रा दोपहर 1 से 4 बजे तक कचहरी चैराहा से शुरु होकर पुष्प वाटिका पेट्रोल पंप से होते हुए भोलेनाथ स्वीट्स समाप्त होगी। 9 मार्च को श्री चैतन्य महाप्रभु दिव्य प्राकट्योत्सव कार्यक्रम होगा। 10 मार्च को भगवान के साथ भक्त फूल होली का आनन्द लेंगे।

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