बेमौसम बरसात ने बढ़ाया कोरोना वाॅयरस का भय
किसानों के चेहरे पर भी उभरी चिंता की लकीरें
झांसी। दोपहर तक तेज गर्मी के बाद शुक्रवार की शाम अचानक आंधी और बारिस ने लोगों की मुश्किलांे को और बढ़ा दिया। एक ओर जहां कोरोना वाॅयरस के खतरे से लोग बचने के उपायों में जुटे थे और बढ़ते पारे ने लोगों के चेहरों पर खुशी ला दी थी। शाम होते-होते वह मायूषी और चिंता में बदल गई। मौसम में आई ठण्डक के चलते लोग फिर से चिंतित हो उठे हैं। किसानों की चिंता भी कुछ कम नहीं है।
पूरी दुनिया में कोरोना का कहर सिर चढ़कर बोल रहा है। चीन से शुरु हुई इस आफत की चपेट में इटली जैसे देश भी हैं तो भारत भी इससे अछूता नहीं है। कोरोना वाॅयरस से करीब दो सैकड़ा लोग संक्रमित बताए जा रहे हैं। इसका बचाव ही इसका उपचार बताया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर यह भी सोशल मीडिया और चिकित्सकों द्वारा बताया जा रहा है कि 27 डिग्री सेण्टीग्रेट से ज्यादा तापमान होने पर यह वाॅयरस काम करना बंद कर देता है। बुन्देलखण्ड में गर्मी के दौरान तापमान 45 डिग्री के पार चला जाता है। हाल ही में पिछले दो दिनों से तापमान 30 के पार चल रहा था। इसे देख लोगों में खुशी का माहौल था। कि अब तो कोरोना वाॅयरस यहां आ ही नहीं सकता। लेकिन लोगों की खुशी उस समय चिंता में बदल गई जब शुक्रवार की दोपहर बाद शाम के समय अचानक आसमान में घनघोर बादल छा गए। यही नहीं तेज आंधी के साथ हुई बारिस ने तापमान को कम कर दिया। इसके बाद लोगों के चेहरों पर चिंता की लकीरें स्पष्ट देखी गई। इस संबंध में किसानों की चिंता भी कुछ कम नहीं है। किसान इस बेमौसम बरसात को भी कोरोना से कम नहीं मानते। उनका कहना है कि पहले खड़ी फसलें पानी और ओलों ने बर्बाद कर दी। अब खेतों में कटी पड़ी फसलें भी बेमौसम बरसात बचने नहीं देगी। किसान नेता गौरीशंकर बिदुआ इसे किसानों का दुर्भाग्य बताते नजर आए।
तापमान के गिरने पर चिकित्सकों के अलग विचार
इस संबंध में हिन्दुस्थान समाचार से बात करते हुए रेलवे हाॅस्पिटल में अपनी सेवाएं दे चुके डा.यशवंत राठौर ने बताया कि पानी गिरने से मौसम के तापमान में कमी आई है। इसके चलते निश्चत रुप से कोरोना वाॅयरस के लिए ठीक नहीं है। संक्रमण कम तापमान पर ज्यादा होता है। वहीं मेडिकल काॅलेज में क्षय रोग विभाग के चिकित्सक डा.राजीव कुमार ने बताया कि ऐसी कोई गाइड लाइन नहीं है कि कोरोना वाॅयरस 27 डिग्री सेल्शियस तापमान के बाद मर जाता है या संक्रमण नहीं फैलाता। यह सब सोशल मीडिया का कहना है। किसी गाइडलाइन में उन्हें ऐसा नहीं बताया गया है। और न ही स्पष्ट इसके बारे में कहा गया है।