बीयू: लॉकडाउन में फंसे विभिन्न जनपदों के 51 छात्रों को भेजा उनके घर

विश्वविद्यायल प्रशासन व छात्रों की मांग पर एसपी सिटी ने भेजी बस
झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय एंव जिला प्रशासन की सहायता से लॉकडाउन में फंसे उप्र के विभिन्न जनपदों के 51 विद्यार्थियों को उनके गंतव्य स्थान के लिए यूपी रोडवेज द्वारा रवाना किया गया। एसपी सिटी राहुल श्रीवास्तव द्वारा विश्वविद्यालय एवं छात्रों की मांग पर एक बस उपलब्ध कराई गई। उन्हें रवाना करते हुए कुलपति ने सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने, माॅस्क पहनने और गर्मी में पानी पीते रहने को भी कहा।
विश्वव्यापी कोरोना कहर के चलते लाॅकडाउन शुरु होने के बाद से विश्वविद्यालय के हाॅस्टलों में बांदा चित्रकूट,हमीरपुर,इलाहाबाद,गाजीपुर,फतेहपुर और बनारस आदि विभिन्न जनपदों के 51 छात्र फंसे हुए थे। उनको उनके घर वापस भिजवाने को लेकर लगातार विश्वविद्यालय प्रशासन पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों के संपर्क में थे। इसी दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा छात्रों व मजदूरों को उनके गंतव्य तक भिजवाने का फरमान दे दिया गया था। इस पर बात किए जाने के बाद शनिवार को एसपी नगर राहुल श्रीवास्तव ने परिवहन विभाग की एक बस के माध्यम से सभी छात्रों को उनके गंतव्य तक भिजवाने का प्रबंध किया। इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर जेवी वैशंपायन द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए मास्क पहने रखने के लिए और भरपूर पानी पीने की सलाह दी । प्रोफेसर सुनील काबिया, नोडल कोऑर्डिनेटर एवं एनसीसी अधिकारी ने बताया कि छात्रों की परेशानी को देखकर काफी समय से विश्वविद्यालय प्रयासरत था। उन्होंने यह भी बताया कि अभी करीब 350 छात्र झांसी में लॉकडाउन के कारण फंसे हुए हैं। उनके लिए भी व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है एवं छात्रों से फोन पर संपर्क किया जा रहा है। इस अवसर पर रोडवेज के अधिकारी दीपक भारती, डॉ. विजय यादव, डॉ. चित्रा गुप्ता, डॉ. संजय निमोनिया, अतुल खरे, डॉ. शैलेंद्र तिवारी, आदि मौजूद रहे।
परिजनों से मिलने की खुशी में फूले नहीं समा रहे थे छात्र
सभी छात्रों को अपने परिवार जनों से मिलने की अत्यंत प्रसन्नता थी। इस खुशी में सभी फूले नहीं समा रहे थे। 50 दिन से लाॅकडाउन के कारण यहां फंसे छात्रों को अब शीघ्र घर पहुंचने की राहत थी।
इनका रहा विशेष सहयोग
प्रोफेसर काबिया ने बताया इन सारी व्यवस्था में हेमंत चंद्रा,विवेक पाठकर एंव एन सी सी कैडेट्स शिवम् राजपूत, आकाश मृत्युंजय, हिमांशु नेगी, शिवकुमार साहू का खासा योगदान रहा।

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