बच्चों को न भेजे बाहर, घर में दंे उनका साथ

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले पदार्थों का करें सेवन
झंासी। शुरुआत से ही कहा जा रहा है कि कोरोना का खतरा सबसे अधिक बुजुर्गों और बच्चों को है, क्योंकि उनकी बीमारियों के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ऐसे में उनका खास ख्याल रखा जाना बहुत जरूरी है। एक ओर बुजुर्ग चलने फिरने में असमर्थ होने के कारण व जागरूक होने के चलते बाहर का रुख कम कर रहे है, वही बच्चों से इस तरह की अपेक्षा करना थोड़ा मुश्किल है। बच्चों को घर में रुके रहने के लिए परिवार के सदस्यों को उनकी मदद करनी चाहिए।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. जीके निगम ने बताया कि बच्चों को हाथों की स्वच्छता के बारें में जागरूकता पर विशेष ध्यान देना होगा। उन्हें बार बार हाथ धोने के लिए प्रेरित करना चाहिए, अभिभावक उनके साथ मनोरंजन का माहौल बनाए, खेल खेल में उन्हंे हाथ धोने के बारें में समझाये। घर पर रहकर उनके साथ ड्राइंग-पेंटिंग, कविता व कहानी पढ़ना आदि करंे। बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए उन्हंे पोषण युक्त भोजन कराये, उन पर किसी भी तरह का दवाब न बनाए और न ही चिल्लाएं। घर में इस तरह का माहौल बनाए कि उनका मन घर में लगा रहे। स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी डा. विजयश्री शुक्ला ने कहा कि पहले के समय में जिस तरह घर के बड़े छोटों को कहानी किस्से सुनाया करते थे, अब इस परंपरा को फिर से शुरू करने की आवश्यकता है। जिससे घर के बड़ों और बच्चों दोनों को घर में रहने के लिए प्रोत्साहित कर सकते है। मोबाइल लैपटाप से इतर बच्चों में पढ़ने की आदत को बढ़ाने के लिए उनकी मदद करंे। उनको आकर्षित करने के लिए रंगीन किताबों का सहयोग ले, व परिवार के सदस्य खुद भी इसमें उनके भागीदार बने। लैपटाप मोबाइल आदि को एल्कोहल आधारित सेनेटाइजर से सेनेटाइज जरूर करंे। साथ ही यदि किसी बच्चे या बुजुर्ग को खांसी जुकाम है तो बाकी सदस्यों को इनसे दूर रखे।

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