प्रवासीय मजदूर श्रमदान से संभाल रहे अपने जल स्त्रोत
वर्षा के पानी को रोककर अपनी आजीविका सुनिश्चित करने की कर रहे हैं पहल
झांसी। कोरोना कहर के चलते अपने गांवों में वापस लौटे प्रवासी मजदूरों के जीवन को संवारने के लिए प्रदेश सरकार ने ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया था। उनके रोजगार के साथ जीवन यापन के लिए जल स्रोतों को उनके द्वारा मरम्मत कराए जाने से लेकर नए तालाब व बंधियों आदि का निर्माण किया जा रहा है। बबीना विकासखण्ड के कई गांवों में लौटे मजदूर अपने कार्यों पर लग भी गए हैं। इससे जल संरक्षण के साथ ही प्रवासी मजदूरों को काम भी मिल रहा है।
बबीना ब्लाॅक के गांव सरवां, सिमरिया, मानुपर, गुवावली, खजुराहा खुर्द में कोरोना संक्रमण से उपजे संकट से क्षेत्र के जो प्रवासी बाहर से लौटे घरों मे बैठे हुए हैं। ऐसे हालात में उन्हें रोजगार के लिए प्रशासन द्वारा जल संरक्षण की पर कार्य किया जा रहा है। जल संरक्षण के लिए तालाब गहरीकरण, छोटे छोटे जल स्त्रोत व पहाड़ियों पर टेंच, नालों पर अभी से पानी को रोकने के लिए प्रयास कर रहे हैं। वह जल संरक्षण को ही एकमात्र सहारा मान रहे हैं। जिससे भविष्य में भरपूर खेती कर सके वैसे ही गर्मियों के दिन जल संकट काफी बढ़ जाता है और लोगों को पीने के पानी की समस्याएं देखने को मिलती है। वहीं दूसरी ओर बरसात के पानी को जमा करने के लिए बाहर से लौटे प्रवासी व गांव की पानी पंचायत समितियों एवं जल सहेलियों ने संकल्प लिया है कि अगर अभी से तालाबों का गहरीकरण और जल भराव क्षमता को और बढ़ाने के लिए छोटी-छोटी जल संरचनाओं का गहरीकरण कर श्रमदान कार्य जारी है। उन्होंने यह सोच लिया है कि यदि ऐसे हालात में बाहर तो मजदूरी के लिए जा नहीं पाएंगे। अगर अभी से जल संरक्षण का काम करें तो बरसात का पानी इकत्र करके खेती कर सकेगे। जिससे बच्चों का पालन पोषण हो सकेगा व पलायन के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी। इसलिए जल संरक्षण के कार्य को महत्व देते हुए प्रवासी मजदूर पानी पंचायत समितियां सभी मिलकर जल संरक्षण श्रमदान में लगे हुए हैं।
श्रमिकों की कहानी उन्हीं की जुबानी
सरवां गांव की जल सहेली पिस्ता पाल ने बताया कि उनके गांव में 50 लोगों ने श्रमदान का कार्य किया है।
सिमरिया गांव में श्रमदान कर रहे महाराज सिंह सहरिया ने बताया कि बरसात से पहले अपने गांव की जल संरचना को पुर्नजीवित करने का वह प्रयास कर रहे जिसमें पूरे गांव को सहयोग उन्हे प्राप्त हो रहा है, जिससे बाद में जल संरक्षण कर जल संकट से बचा जा सकेगा।
सरवां गांव की रेखा सहरिया कहती हैं कि पहले शहर जाकर कैसे भी करकर आजीविका चला लेते थे लेकिन अब कोरोना काल में गांव में ही रहना होगा, जिसके लिए गांव में ही आजीविका का विकास करने के लिए तालाब की सिल्ट सफाई कर रही है जिससे बाद में उन्हें सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध रहे।
परमार्थ संस्था भी कर रही लोगों को प्रेरित
वहीं दूसरी ओर गरीब लोगों को परमार्थ समाज सेवी संस्थान व जल जन जोड़ो अभियान के द्वारा भी इस कार्य के लिए प्रेरित किया गया है। यह कार्य जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ.संजय सिंह के निर्देशन में किया जा रहा है। जिसमें क्षेत्रीय कार्यकर्ता राजेश कुमार जिला समन्वयक व युवा समाजसेवी सुदामा गुप्ता लगातार मेहनत कर जल संरक्षण के कार्य को देख रहे हैं। परमार्थ के जितेन्द्र यादव के द्वारा बताया कि श्रमदानियों को प्रोत्साहन देने के लिए खाद्य सामग्री वितरित की जा रही है।
बोले वल्र्ड वाॅटर काॅउसिंल सदस्य,जल संकट से मिलेगी निजात
इस संबंध में वल्र्ड वाॅटर काउंसिल व कैग के सदस्य डा.संजय सिंह ने बताया कि जिस तरह से सरकार ने प्रवासी मजदूरों के द्वारा जल संरक्षण करने के लिए जल स्रोतों की मरम्मत और तालाब व बंधी आदि के निर्माण का कार्य शुरु कराया है। यदि बुन्देलखण्ड में यह कार्य ठीक तरह से चलता रहा तो निश्चित ही जल संकट से निजात पाने में यह सहायक सिद्ध होगा।