पत्नी की मौत व अपनों बेगानेपन से क्षुब्ध युवक ने की आत्महत्या

लोग कोरोना के भय से नहीं फटके पास,परिजन भी नहीं गए अंतिम संस्कार में
झांसी। कोरोना जो कराए वह कम है। एक तो गर्भवती पत्नी की टीबी के चलते मौत और उसके बाद अपनों की बेरुखी से क्षुब्ध दिल्ली से लौटे एक युवक ने शुक्रवार को गले मंे पत्नी की साड़ी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। मरने से पहले अपने पूरे जीवन काल का कुछ कड़वा सच वह चंद लाइनों में अपनी मृत पत्नी के उपचार के पर्चों पर सुसाइड नोट के रुप में भी अंकित कर गया। इन चंद लाइनों ने भारतीय संस्कृति बसुधैव कुटुम्बकम की सोच के इतर वैचारिकता रखने वालों को झकझोर कर रख दिया। घटना थाना क्षेत्र टहरौली के ग्राम पिपरा की बताई जा रही है। जहां आज पुलिस को यह जानकारी मिली थी कि एक खेत पर एक दंपति के शव पड़े हैं। इसकी जानकारी पिपरा निवासी समाजसेवी रामसिंह पटेल द्वारा थानाध्यक्ष टहरौली डॉ. आशीष मिश्रा को को दी गयी थी।
जैसे ही इसकी सूचना पुलिस को मिली थानाध्यक्ष मौके पर जा पहुंचे। खेत का दृश्य बड़ा वीभत्स था। महिला का शव खेत में पड़ा हुआ था जबकि पुरूष का शव साड़ी के फंदे से कुंए में झूल रहा था। पुलिस ने जब वहां की स्थिति पर नजर डाली तो शव के पास ही कुछ दवाईयों के पर्चे,कुंए के समीप एक तम्बाकू का पैकेट,बीड़ी का बण्डल-माचिस व एक जोड़ी टूटी चप्पलंे पड़ी थी। महिला की टीबी के ईलाज के समय के बिल और जांचे आदि वहीं पड़े थे।
घटना स्थल पर पहुंची पुलिस को ग्राम पिपरा निवासी रामस्वरूप रायकवार ने बताया कि मृतक उसका भतीजा 35 वर्षीय भगवत था। उसके भतीजे ने अपनी पत्नी की मौत हो जाने के कारण आत्महत्या करके अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। रामस्वरूप रायकवार के अनुसार उनका भतीजा दिल्ली में मजदूरी करके अपना जीवन यापन करता था। वहीं मजदूरी कर रही शिवानी से कुछ ही महीने पहले उसने प्रेम विवाह कर लिया था। शिवानी के माता पिता की मृत्यु हो चुकी थी। जबकि उसके भतीजे भगवत के पिता की मृत्यु उसके बचपन में ही हो गयी थी और उसकी मां उसको छोड़ कर अलग रहने लगी थी। भगवत का बड़ा भाई गब्बर भी मजदूरी करके अपना भरण पोषण करता है। यह भी बताया गया कि मृतक काफी समय से दिल्ली में रह कर मजदूरी करता था। वहीं उसकी शिवानी से मुलाकात हुई थी। बाद में दोनों ने शादी कर ली। लोगों द्वारा यह भी बताया गया कि शिवानी 2 – 3 माह की गर्भवती भी थी।
लाॅकडाउन में परेशान होने के बाद पैदल ही चल पड़े थे घर
ग्रामीणों की मानें तो लाॅकडाउन में फंसकर भगवत दिल्ली में बुरी तरह से परेशान हो गया था। किसी तरह उसने वहां से निकलने का मन बनाया और दोनों पैदल ही पिपरा गांव के लिए चल पड़े। लेकिन झांसी पहुंचते पहुंचते शिवानी की हालत बिगड़ने लगी। एक तो टीबी की मरीज ऊपर से गर्भवती होने के कारण करीब साढ़े चार सौ किलोमीटर की पैदल चलना उसके लिए संभव नहीं था। इसलिए शिवानी की तबियत बिगड़ गई थी।
झांसी के किसी हाॅस्पिटल में उपचार के दौरान हुई शिवानी की मौत
यहां झांसी में पहुंचकर किसी हाॅस्पिटल में भगवत ने शिवानी को भर्ती कराया था। वहां उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई। आज जब वह अपने गांव शिवानी का शव लेकर पहुंचा था। वहां किसी ने भी उसकी मदद नहीं की। यहां तक कि उसके परिजन भी उसकी पत्नी के अन्तिम संस्कार में जाने को तैयार नहीं थे। इसके चलते भगवत अपने खेत पर अपनी पत्नी की लाश लेकर एम्बूलेंस से ही चला गया था। वही एम्बूलेंस उसकी पत्नी का शव लेकर आई थी। फसलें कट जाने के चलते खेतों पर लोगों की आवाजाही भी कम है। जब किसी राहगीर ने वहां दोनों के शवों को देखा तो मामले की सूचना ग्रामीणों की दी। इसके बाद पुलिस को मामले से अवगत कराया गया था।
कोरोना की दहशत में अपनों की बेरुखी नहीं झेल पाया
कोरोना के भय के चलते किसी भी अपने या ग्रामवासी ने उसका साथ नहीं दिया। लोगों को भय था कि शिवानी की मौत कोरोना से हुयी है तो किसी ने भी शव के पास जाना तक ठीक नहीं समझा। कोरोना के कहर का भय और अपनों की बेरुखी से परेशान हो कर भगवत ने पहले तो अपनी पत्नी के शव को तकिया लगाया। और फिर सुसाइड नोट लिखा। फिर अपनी पत्नी की साड़ी के एक छोर को खेत में कुंए के पास रखे पम्पसेट से बांधा जबकि दूसरे छोर को अपने गले मे बांध कर कुँए में छलांग लगा दी । जिसके बाद उसकी भी मृत्यु हो गयी ।
सुसाइड नोट ने प्रकट की क्षुब्धता लिखा,न कोई हमारा,न हम किसी के
शिवानी की दवा के पर्चे के पीछे ही आत्महत्या करने वाले भगवत ने टूटी फूटी भाषा में अपना सुसाइड नोट भी लिखा हुआ था। जो उसके अपनों के द्वारा बनाई दूरी की तकलीफ बयां करते नजर आए। युवक द्वारा अपने सुसाइड नोट में लिखा गया कि हमारी जगह (जमीन) परिवार में नहीं जायेगी तो बुआ के पास जायेगी। अपनी पत्नी शिवानी के लिए लिखा कि इसके न बाप हंै और न ही मां हैं। दिल्ली से शादी करके लाया था। टीबी की मरीज थी। उसके बाद उसने केवल एक ही वाक्य लिखा- न हमारा कोई, न हम किसी के।
बोले थाना प्रभारी,दोनों शवों को भेजा पोस्टमार्टम के लिए
थानाप्रभारी टहरौली डॉ. आशीष कुमार मिश्रा द्वारा बताया गया कि सूचना मिलने पर तुरंत मौके पर पहुँच कर घटना की जांच की गयी। मृतक भगवत की पत्नी शिवानी की मृत्यु टीबी के कारण हो गयी थी। जिसके बाद मृतक भगवत ने अपने खेत पर फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली है। मृतक ने आत्महत्या के पहले अपना सुसाइड नोट भी छोड़ा है। दोनों शवों को कब्जे मे ले कर पंचनामा भरके पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
पति-पत्नि की मौत में झोल ही झोल
भगवत और शिवानी की मौत के मामले में तमाम सवाल सुरसा की तरह मुंह बाएं खड़े हो गए हैं। प्रशासन भी इन सवालों के दायरे में है। सबसे पहली बात तो यह है कि आखिर शिवानी की मौत उपचार के दौरान झांसी में कहां हुई। यदि मौत हुई तो उसका पोस्टमार्टम क्यों नहीं किया गया। यदि बाकई उसकी मौत टीबी जैसी भयानक बीमारी से हुई है तो कहीं वह कोरोना संक्रमित तो नहीं थी। और संभवतः इसी के चलते गांव व परिवार के लोगों ने उसके साथ जाना उचित न समझा हो। यही नहीं सवाल तो यह भी है कि पति-पत्नि दोनों टहरौली के उस गांव में जा पहंुचे और प्रशासन पर इसकी सूचना भी नहीं थी। आखिर प्रशासनिक मशीनरी यह किस प्रकार की सतर्कता अपना रही है।

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