न गले मिले न हुआ दीद,कुछ इस तरह मनाई गई लाॅकडाउन में ईद

झांसी। भारत देश को त्यौहारों का देश कहा जाता है। यहां वर्ष का शायद ही कोई ऐसा दिन निकलता हो जब त्यौहार न मनाया जाता हो। सर्वधर्मों को साथ लेकर चलने के कारण अपनी विभिन्नता के साथ एकता समेटने के लिए इसे बड़े लोकतंत्र की संज्ञा दी जाती है। लेकिन इस वर्ष कोरोना कहर के चलते हर धर्म के त्यौहारों को खुले और उत्साह पूर्वक मनाने पर लाॅकडाउन की बंदिश लगी हुई है। इस्लाम के सबसे बड़े त्योहार के रुप में जाने जाने वाले ईद-उल-फितर को सोमवार को बड़े ही सादगी के साथ मनाया गया। लोगों ने अपने घर पर ही रहकर नमाज अता करते हुए ईद-उल-फितर का त्योहार उत्साह के साथ मनाया।
पूरा देश इस समय कोरोना की विभीषिका से जूझ रहा है। इससे सुरक्षा के लिए देश में लाॅकडाउन 4 लागू किया गया है। ऐसे में किसी भी मांगलिक कार्य को भीड़ भाड़ के साथ मनाए जाने पर पाबंदी लगी हुई है। इसके चलते जनपद में कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव की एहतियात के तहत ईदगाह में सामूहिक रूप से नमाज अदा नहीं की गई। इस मौके पर मुस्लिम जनों ने घरों पर ही व पांच-पांच लोगों ने मस्जिदों में नमाज अदा की। मुस्लिम भाइयों ने अल्लाह से देश में अमन चैन कायम करने के लिए दुआ मांगी। साथ ही कोरोना वायरस को देश से समाप्त करने के लिए दुआ मांगी। सुबह से ही छोटे-छोटे बच्चे नई पोशाकों में सजे धजे हुए नजर आए। इस मौके पर मस्जिदों की ओर जाने वाले रास्तों पर विशेष सफाई व्यवस्था की गई। नगर के मुख्य चैराहों पर सुरक्षा की दृष्टि से एवं अन्य जगह भारी पुलिस बल तैनात रहा। मुस्लिम जनों ने नमाज के बाद एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी। कुल मिलाकर ईद का त्यौहार सोशल डिस्टेंस के साथ एवं लोक डाउन का पालन करते हुए मुस्लिम जनों ने बड़े ही उत्साह के साथ मनाया। हालांकि मुख्य मस्जिदों पर सुरक्षा के पूरे इंतजाम रहे। लोगों को वहां जाने की मनाही भी रही। कोरोना के खतरे को देखते हुए लोगों ने नियमों का पालन भी किया।
मौलाना जावेद कुरैशी ने भी अपने पिरिवार के लोगों के साथ घर पर ही नमाज अता की। घर पर भी नमाज पढ़ते समय सोशल डिस्टेंस का भी ध्यान रखा गया। अधिकांश नमाजियों ने माॅस्क का भी प्रयोग किया। कोरोना से चल रही जंग के चलते इस बार लोगों ने गले न लगकर दूर से ईद की मुबारकबाद दी। यही नहीं मौलाना ने सभी मुस्लिम भाइयों से लाॅकडाउन का पालन करते हुए घर पर ही ईद मनाने का आह्वान किया।
गौरतलब है कि इससे पूर्व सनातन धर्म में मां दुर्गा के विभिन्न रुपों की पूजा का त्यौहार भी कुछ इसी तरह घरों पर मनाया गया था। मंदिरों को भी पूरी तरह से बंद रखा गया था। लोगों को किसी भी प्रकार की पूजा अर्चना की अनुमति नहीं दी गई थी। लाॅकडाउन ने सारे त्यौहारों के रंगों को फीका कर दिया है। हालांकि लोग किसी तरह औपचारिकताएं निभाते नजर आते हैं।

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