दंडनीय अपराध होने के बावजूद किसान जला रहे नरवाई
भांडेर। इन दिनों बड़ी संख्या में नरवाई जलाने के मामले सामने आ रहे हैं। कहीं ये मामले हादसे के रूप में तो अधिकांश मामलों में खुद किसानों द्वारा नरवाई जलाने के मामले सामने आए हैं। चूंकि शिकायत के मामले सामने न आने से भांडेर अनुभाग के किसी भी थाने पर अब तक एक भी मामला किसी किसान के ऊपर दर्ज नहीं हो पाया है। ऐसे में किसान कानून से बैखोफ नरवाई जला कर पर्यावरण को नष्ट करने पर आमादा हैं। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक फसलों के गिरते उत्पादन, किसानों को हो रहे घाटे के पीछे कुछ मुख्य वजहों में से एक प्रमुख वजह नरवाई जलाना भी है। शुक्रवार को भांडेर-सरसई मार्ग पर स्थित कई खेतों की नरवाई सुलग रही थी जिसकी वजह से न केवल उस क्षेत्र में तापमान में वृद्धि और धुंए की अधिकता देखी गई साथ ही भूसा बनाने की चिंता भी अब किसानों को सताने लगी है।
भूसे के लिए किसान चिंतित
आये दिन नरवाई में आग लगाने का गैरजिम्मेदाराना कार्य कर रहे किसानों के चलते कई किसान जो पशुपालन का कार्य भी कर रहे हैं, भूसा भंडारण को लेकर चिंतित हैं। उन्हें डर है कि यदि उन्होंने भूसा बनवाने में विलंब किया तो नरवाई की आग उन्हें कहीं का नहीं छोड़ेगी और ऐसे में पशुओं के लिए बाजार से ऊँचे दामों पर भूसा खरीदना पड़ सकता है।
प्रकृति से कर रहा है खिलवाड़
इस बार लॉकडाउन के चलते अधिकांश जगह हार्वेस्टर की मदद से फसल कटाई का कार्य हुआ है। ऐसे में खेतों में गेंहूं का डंठल खड़ा है और इसी डंठल से भूसा बनाने वाली मशीन से भूसा तैयार किया जा रहा है। चूंकि किसान को बारिश से पहले अपना खेत तैयार करना होता है। लिहाजा ऐसी स्थिति में खड़े डंठल युक्त खेत को ट्रेक्टर से जुताई कार्य को वह महंगा समझता है और आसान रास्ता अपनाने वह चोरी-छिपे नरवाई में आग लगा कृषि लागत कम करना अक्लमंदी का काम समझता है। लेकिन वह यह भूल जाता है कि ऐसा कर वह किस प्रकार प्रकृति से खिलवाड़ करता हुआ खुद अपने लिए आगामी उत्पादन कम करता जा रहा है।
कई जगह हो चुकी है आगजनी की घटनाएं
भांडेर क्षेत्र में आए दिन नरवाई जलाए जाने की सूचनाएं फायरब्रिगेड और डायल 100 को प्राप्त हो रही हैं। सूचनाओं पर मौके पर जाकर फायरब्रिगेड किसानों की बेवकूफी के चलते सुलगती नरवाई शांत तो कर देती है लेकिन सबसे प्रमुख बात यह है कि आखिर हर बार नरवाई जलाने को दंडनीय घोषित किये जाने के बाद भी आखिर किसान यह अपराध करने का जोखिम क्यों उठा रहे हैं।
इनका कहना है
ग्रामीण क्षेत्रों के शासकीय अमले को निर्देशित किया गया है कि इस प्रकार के मामलों में दोषियों पर कार्यवाही करें। नरवाई जलाने को लेकर कुछ किसानों पर प्रकरण दर्ज भी किये गए हैं।