ढाई माह बाद खुले मंदिरों के कपाट,भक्तों से मिले भगवान

मुंह पर माॅस्क और सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए किए दर्शन
झांसी। कोरोना कहर के चलते पिछले ढाई महीने से पूरे देश में चल रहे लाॅकडाउन के चलते भक्तों की आंखें भगवान के दर्शन को तरस गई थी। सोमवार को ढाई माह बाद सशर्त धर्मस्थलों के पट खोले गए। और उन्हें आम जनमानस के लिए खोल दिया गया। लेकिन इसके साथ ही शर्ताें की परीक्षा भी उन्हें पास करनी पड़ी। कुल मिलाकर लम्बे अर्से के बाद भक्तों को अपने ईष्ट के दर्शनों की मुराद पूरी हो सकी। हालांकि इस दौरान पुलिस कप्तान भी क्षेत्र में घूम घूमकर सुरक्षा और सोशल डिस्टेंसिंग का जायजा लेते रहे।

महानगर समेत जनपद में सुबह ब्रम्ह मुहूर्त में ही धर्मस्थलों के खोले जाने की तैयारी शुरु कर दी गई थी। नगर के अलावा पूरे बुंदेलखंड में बहुत अधिक मान्यता वाले पचकुंईया मंदिर में माता का पूरा श्रृंगार किया गया और आरती के बाद भक्तों को दर्शनों के लिए मंदिर में आने की अनुमति दी गयी। इस बीच बीते रोज प्रशासन की ओर से जारी दिशा निर्देशों का भी पूरी तरह से पालन किया गया। मुख्यद्वार पर भक्तों के हाथों को हैंड सेनेटाइजर से सेनेटाइज करने के बाद पांच भक्तों को ही अन्दर जाने दिया गया। भक्तों ने सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए माता के चरणों में नमन किया। इस दौरान किसी को मंदिर में कुछ भी ले जाने की इजाजत नहीं दी गयी। प्रसाद केवल मंदिर के भीतर ही बनाकर भोग लगाया गया। माता के चरणों में चढ़ा प्रसाद ही भक्तों को मिला। दर्शनों के दौरान सभी के चेहरे मास्क से ढके रहे। हालांकि इतनी शर्तों को भी भक्तों ने अपने भगवान के दर्शनों की खातिर पूरी तरह से स्वीकार किया।

दूर से ही सही दर्शन तो मिले
माता के दर्शन की अभिलाषा लिए सुबह ही मंदिर पहुंची जानकी देवी ने बताया कि इस महामारी में 450 वर्ष पुरानी परंपराएं टूट गयीं। इस लॉकडाउन से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि हम एक दिन भी मइया के दरबार में दर्शन के लिए न आये हों। आज इतने लंबे समय बाद दर्शनों का मौका मिला और निराशा जताते हुए कहा कि न तो माई के दरबार में हम कुछ चढ़ा सकते हैं,न ही उनका चरण स्पर्श कर सकते हैं। बस इतनी ही सांत्वना है कि माॅ के दरबार में आने और दूर से ही सही लेकिन उनके दर्शन लाभ का मौका मिला। ऐसी ही आशा और निराशा की भावनाएं लिए कई श्रद्धालु मंदिर में पहुंचे।

इस्काॅन मंदिर में हुई गौपूजा
फूटा चोपड़ा स्थित इस्कॉन मंदिर मे गोपूजा के साथ हुई भगवान की आरती और आरती के बाद मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिये गये। भक्तों के लिए सेनेटाइजर की व्यवस्था मंदिर के द्वार पर ही गयी। गर्भगृह में किसी को प्रवेश नहीं करने दिया गया सभी ने बाहर से ही दर्शन किये। मूर्ति पर जल, फूल या प्रसाद आदि कुछ भी चढ़ाने की अनुमति नहीं दी गयी। पुजारी जी ने न तो किसी को तिलक लगाया और न ही प्रसाद या चरणामृत का वितरण किया गया।

मुंह पर माॅस्क और दो गज की दूरी पर दिखे भक्त
सिद्धेश्वर मंदिर में भी भक्तगण अपने ईष्ट के दर्शनों की अभिलाषा लिए मुंह पर माॅस्क और दो गज की दूरी का पालन करते नजर आये। ऐसा ही नजारा लहर की देवी,गणेश मंदिर, सखी के हनुमान,गोपाल मंदिर और महानगर के अन्य मंदिरों में भी देखने को मिला।

काली माता मंदिर दर्शन के लिए करना होगा कल तक इंतजार
बुंदेलखंड में बड़ी मान्यता वाले काली के मंदिर में व्यवस्थाएं पूरी नहीं हो पाने और अन्य कारणों से मंदिर को आज भक्तों के लिए नहीं खोला गया। मां काली के भक्तों को दर्शनों के लिए कल तक इंतजार करना होगा यहां बुधवार को मंदिर को श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोला जायेगा।

पुलिस कप्तान ने क्षेत्र में भ्रमण करते हुए देखी व्यवस्था
पुलिस कप्तान डी प्रदीप कुमार ने इस दौरान क्षेत्र में भ्रमण करते हुए सभी धार्मिक स्थलांे का जायजा लिया। आने जाने वाले श्रृद्धालुओं से वार्ता करते हुए उन्हें सोशल डिस्टेंस पालन करने की अपील भी की।

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