ठेका 20,000 हजार घन मीटर का, खनन किया जा रहा 50,000 हजार घन मीटर में

मऊरानीपुर। उत्तर प्रदेश शासन के द्वारा बालू घाट का ठेका मऊरानीपुर के पचोरा घाट पर चल रहा है। बालू घाट का ठेका हो जाने पर वहां नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है । बालू घाट पर ना कैमरे लगे हैं ना ही वहां पर बजन के लिए कांटा लगा है। एलएनटी मशीन से नदी का सीना चीर कर निकाली जा रही है बालू इसमें बड़ा फर्जी वाडा देखने को मिल रहा है। सूत्रों की माने तो साधारण कागज पर रसीद बनाकर बेची जा रही है बालू। जो रसीद बनाई जा रही उन पर न दिनांक लिखी जा रही है लेकिन दिन व समय नही डाला जाता है। इतना ही नही बालू घाट का ठेका 20,000 हजार घन मीटर का हुआ लेकिन 50,000 हजार घन मीटर में बालू खंनन किया जा रहा। बालू खनन करने वालो के पास एम एम 11 की पर्ची भी नही मिलेगी ठेका जिनके नाम हुए वह मौजूद नही रहते लेकिन कुछ सरकार के छुट भैय्या बालू के घाट पर लगभग सौ ट्रेक्टर भरवाकर चला रहे। पचोरा के बगल में लगा है सिनधरा घाट उसी की रसीद की दम पर वहां से भी उठाई जा रही है बालू जो की रानीपुर मौजा में आती है। यहां तक की पचोरा से लेकर पटगुवा घाट तक जिस पर तीन चेक डैम बने हैं चेक डैम की परवाह न करते हुए उठाई जाती है बालू जबकि पिछली बरसात में पठगुवा का चेक डैम अवैध बालू उठाने के कारण टूट गया था यही हाल रहा तो आगामी बरसात में अब कौन सा चेक डैम होता है धराशाई सुख नई नदी से अवैध रूप से बालू बरसों से उठाई जा रही है इसी को लेकर एक समाज सेवी द्वारा एक शिकायती पत्र मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत कर अवगत कराया कि बालू का ठेका कही का ओर खनन कही किया जा रहा है ।चर्चा तो यहां तक कि जा रही कि इस अबैध बालू खनन में स्थानीय प्रशासन से साँठ गाँठ कर यह बालू का धंधा किया जा रहा है ।देखना यह है कि सरकार के द्वारा दिये गए बालू घाट पर सम्बन्धित अधिकारी जाँच करने जाते है कि समाज सेवी के द्वारा की गई शिकायत को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। फिलहाल यह बालू घाट पर कुछ सरकार के दबंग छुटभैया नेता रोव दिखाते नजर आते है। यह बो लोग है जो सरकार के बदल जाने पर बर्तमान सरकार में शामिल हो जाते है देखना यह है कि इन अवैध बालू माफियाओं पर कार्यवाही क्या होती है।

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