टाॅपर्स की कहानी,उन्हीं की जुबानी: अंग्रेजी में पाए 100 में से 99 नम्बर
कोई अपने पिता के साथ चूड़ी का ठेला चलवाता है तो कोई फीस जमा करने के लिए पिता के साथ विकवाता है गरम मसाला
झांसी। एक शोध के अनुसार अंग्रेजों से ज्यादा शुद्ध अंग्रेजी भारत में बोली जाती है। इसका उदाहरण बीते रोज यूपी बोर्ड के परिणाम आने के साथ सामने आया। यहां दो साधारण परिवारों के छात्रों ने अंग्रेजी में सर्वाधिक अंक प्राप्त करते हुए लोगों को चैकने पर विवश कर दिया है। आश्चर्य की बात यह है कि अंग्रेजी के दोनों टाॅपर्स किसी बड़े कान्वेन्ट या हाईप्रोफाइल परिवार से संबंधित नहीं हैं। बाबजूद इसके उनके अंग्रेजी में नम्बर सर्वाधिक हैं। यह भी नहीं कि उनका परिवार बहुत पढ़ा लिखा हो। एक के पिता गरम मसाले को बेचने का काम कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं तो दूसरे के पिता चूड़ी का ठेला लगाकर अपने परिवार का जीवन यापन करते हैं। और उसी से अपने बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी उठाते हैं।
बीते रोज यूपी बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम आया। अधिकांश घरों में खुशियों का आलम रहा। वहीं संस्कारित शिक्षा के लिए चर्चित विद्या भारती का स्कूल भानी देवी गोयल इण्टर काॅलेज में अध्ययनरत हाईस्कूल के दो छात्रों ने यह सिद्ध कर दिया कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। छात्र रिषभ साहू ने अंग्रेजी विषय में 100 में से 99 अंक हासिल किए वहीं रोहित कुमार ने 100 में से 98 अंक हासिल करते हुए लोगों को दांतों तले अंगुलियां दबाने पर मजबूर कर दिया। उन्नाव गेट बाहर निवासी रिषभ साहू के पिता घनश्याम साहू गरम मसाला बेचने का काम करते हैं। जबकि नगर के इतवारी गंज निवासी रोहित के पिता प्रेमसिंह मूल रुप से आगरा के निवासी है। वह अपने परिवार के साथ यहां पिछले 10 वर्षों से रह रहे हैं। वह चूड़ी का ठेला लगाकर अपने परिवार का जीवन यापन करते हैं। दोनों छात्र समय समय पर अपने माता पिता के काम में भी हाथ बंटाते हैं। यहां तक कि दोनों अपने पिता के साथ काम करते हुए अपने ट्यूशन की फीस तक की व्यवस्था करते रहे। लेकिन संस्कार की पाठशाला ने उन्हें संस्कारों के साथ शिक्षा भी भरपूर दी। रही सही कसर यश स्टडी प्वाइंट ने पूरी कर दी। इन अंकों के लिए दोनों छात्र अंग्रेजी के ट्यूशन शिक्षक यश कोष्ठा का आभार जताते नजर आए। जिन्होंने उनकी हर समस्या का समाधान करने में उनकी मदद की।
दोनों बनना चाहते हैं लोको पाॅयलट
इन दोनों छात्रों की मेहनत के साथ साथ सोच भी एक जैसी ही नजर आती है। पूछे जाने पर दोनों ने बताया कि वे लोको पाॅयलट बनना चाहते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि यदि हम ठान लें कि कुछ करना है तो उसको पूरा किया जा सकता है। कोई अन्य परेशानी हमारे संकल्प के रास्ते में आड़े नहीं आ सकती। यह भी बताया कि वे करीब 10 से 12 घंटे प्रतिदिन अध्ययन करते थे। अपने पिता को परेशान देख उनके साथ काम करने में भी वे कभी पीछे नहीं हटे। उनके माता पिता भी उनसे सदैव खुश रहते हैं।