जिलाधिकारी ने बसों का प्रबंध कर सभी को भिजवाया उनके गांव

झांसी। कोरोना वायरस के कारण देशव्यापी लॉक डाउन के बाद से जनपद के प्रशासनिक अमले के सामने रोज नई चुनौतियां सामने आ रही हैं। लाॅक डाउन के चलते बड़े-बडे शहरों में मजदूरों और कामगारों के सामने रोजगार और जीवनयापन का संकट उठ खड़ा हुआ है। जिसके बाद बड़े पैमाने पर ऐसे मजदूरों का घर वापसी अभियान शुरू हो गया है। वाहनों के न मिलने से सैकड़ों किमी पैदल ही अपने घरों को लौट रहे ऐसे मजदूर प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं। लाॅक डाउन के तीसरे दिन जिले से गुजरकर पैदल ही अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे ऐसे लोगों की मदद के लिए प्रशासन आगे आया है। और परिवहन की बसों द्वारा सभी को उनके गांव के लिए भेजा गया।
उप्र व मप्र के बुन्देलखण्ड के सभी जनपदों से बड़ी संख्या में मजदूरी करने के लिए लोग दिल्ली ,ग्वालियर,आगरा ,भोपाल,सूरत,पंजाब व दूसरे बड़े शहरों में चले जाते हैं। ऐसे ही हजारों मजदूर लाॅक डाउन की घोषणा होने के बाद से निर्माण कार्य बंद होने के चलते सड़कों पर हैं। मजदूरी न मिलने से दो वक्त का भोजन भी अपने व अपने परिवार के लिए न जुटा पाने वाले इन लोगों ने दिल्ली व अन्य शहरों से वापस अपने घर की ओर रुख कर लिया। लेकिन सुरसा की तरह मुंह बाए वाहन की आवाजाही बंदी इनके सामने खड़ी हो गई। तब अपने गांव पहुंचने की उत्सुकता पाले ये हजारों मजदूर अपने परिवार के साथ पैदल ही गांव सैकड़ों किमी दूर अपने गांव के लिए चल पड़े। ऐसे ही करीब 78 लोग शुक्रवार की सुबह झांसी और मध्यप्रदेश की सीमा पर लगे चकरपुर में देखे गये जो अपने गंतव्य बांदा, हमीरपुर, टीकमगढ आदि क्षेत्रों में जाना चाहते थे। प्रशासन को जैसे ही इनके बारे में सूचना मिली तुरंत इन लोगों को रोककर थर्मल स्कैनिंग करायी गयी और उसके बाद रोडवेज की बसों को लगाकर सभी को अपने अपने गंतव्य की ओर रवाना कर दिया गया। इसके अलावा सैकड़ों लोग ग्वालियर की ओर से भी बरसते पानी में अपने बच्चों को अपने सिर पर बिठाए सड़क पर चलते दिखाई दिए। उनका कहना था कि वे सभी दिल्ली से आ रहे हैं। ग्वालियर तक तो उन्हें पुलिस ने सहयोग करते हुए किसी वाहन में बिठा दिया था। पर ग्वालियर से करीब 114 किमी की यात्रा उन्होंने इसी प्रकार की है। ऐसे सभी लोगों के लिए मददगार साबित हुए प्रशासन ने उन्हें परिवहन की बसों की तत्काल व्यवस्था कराते हुए उनकी जांच भी कराई और उन्हें अपने गंतव्य की ओर रवाना कर दिया। जिलाधिकारी आंद्रा वामसी ने बताया कि ललितपुर की ओर से आ रहे तकरीबन 78 लोगों की थर्मल स्कैनिंग की गयी और इनके लंबे सफर को देखते हुए आगे गंतव्य तक की यात्रा आसान करने के लिए बसों को लगाया गया है ताकि यह सभी अपने अपने घरों पर सुविधा से पहुंच सकें। उन्होंने यह भी साफ किया कि प्रशासन इन लोगों के कारण जिले में कोरोना प्रसार की आशंका को शून्य प्रतिशत पर रखने की अपनी जिम्मेदारी को मुस्तैदी से निभाते हुए गरीबों के प्रति भी अपने दायित्व का पालन करने की कोशिश में लगा  है। लोग जो हमारे जिले से गुजर रहे हैं ,ज्यादातर बाईपास के रास्तों पर ही रोक लिए जा रहे हैं ,उनकी जांच की जा रही है और बाहर से बाहर ही बसों मे बैठाकर उन्हें घरों की ओर रवाना किया जा रहा है। ऐसे में इन लोगों से  जिले में कोरोना के प्रसार को बढ़ने की कोई आशंका नहीं है क्योंकि यह न तो शहर में किसी से मिल रहे हैं और नही यहां रूक रहे हैं। यह लोग तो केवल झांसी के रास्ते आगे जा रहे हैं। इनका सफर आसान करने के लिए प्रशासन जो संभव मदद कर सकता है वह मुहैया करायी जा रही है।

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