जनपद में जल्द ही विकसित होगी फिशयार्ड और मछली मण्डी: आन्द्रा वामसी
झांसी। जनपद में फिशयार्ड व मछली मंडी जल्द विकसित की जाये, ताकि क्षेत्र के मत्स्य पालकों को लाभ हो सके। साथ ही दुग्ध उत्पादकों को लघु डेयरी स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इसके लिए बैंक से ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। जनपद में ग्राम सभाओं की अनुपयोगी भूमि पर मियावाकी पद्धति से बगीचे तैयार किए जाएंगे। उक्त निर्देश जिलाधिकारी आन्द्रा वामसी ने बुधवार को आवास स्थित सभाकक्ष में जनपद के प्रगतिशील कृषक एवं एफपीओ के साथ बैठक में दिए। उन्होंने कहा कि प्रशासन की मंशा है कि किसानों की आय दोगुनी हो और उनकी उपज के लिए बाजार उपलब्ध हो।
कैंप सभागार में कृषि के साथ विकास एवं योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए प्रगतिशील कृषक व कृषक उत्पाद संघ (एफपीओ) के साथ विचार विमर्श करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना में अनुदान आधारित मिनी दाल मिल, थ्रेसिंग पद्धति फ्लोर, भंडारण के लिए छोटे भंडार गृह आदि की सुविधाएं के लिए किसान आगे आए और योजना का लाभ उठाएं। उन्होंने कहा कि जनपद में पैदा होने वाली उच्च गुणवत्ता की मछली को क्रय विक्रय करने व दूसरे राज्यों में भेजने के लिए एक अंतर्देशीय फिशयार्ड व मछली मंडी जल्द विकसित की जाएगी, जिससे जनपद की मछली उत्पादकों को एक प्लेटफार्म प्राप्त हो सके और मछली के अच्छे दाम मिल सके। बैठक में कृषक गुलाब सिंह ग्राम बरगड़ ने कहा कि गांव में स्थित परंपरागत तालाबों एवं खेत तालाब की मिट्टी को खोदकर गांव में निर्माण कार्य व विभिन्न कृषि कार्य में उपयोग किए जाने की अनुमति की मांग की और बताया कि ऐसा करने पर पुलिस द्वारा रोका जाता है। जिलाधिकारी ने आश्वासन देते हुए कहा कि तालाबों की मिट्टी खोदने तथा सार्वजनिक तालाबों की सफाई कार्य व मत्स्य पालन के लिए गहरा किए जाने पर पर कोई रोक नहीं है। कृषक राजेश यादव ग्राम विरगुवा ने कहा कि दूध उत्पादकों को लघु डेरी स्थापित करने के लिए बैंक से ऋण उपलब्ध कराया जाए। जिलाधिकारी ने कहा कि लघु डेयरी स्थापित करने वाली इच्छुक कृषकों की सूची तैयार कर मुख्य चिकित्सा अधिकारी को उपलब्ध कराएं ताकि एलडीएम के माध्यम से संबंधित बैंक शाखाओं को भेजकर आवश्यक निर्देश दिए जा सके। गुलाब सिंह ने जनपद में जैविक खेती को बढ़ावा देने की मांग की। जिस पर डीडी कृषि ने बताया कि चालू वर्ष में परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत 30 कलस्टर बनाए जा रहे हैं। जिसके माध्यम से 1500 कृषको को जैविक खेती की सुविधाएं देकर प्रोत्साहित किया जाएगा । उप निदेशक उद्यान भैंरम सिंह ने बताया कि जनपद में कृषकों की बेकार पड़ी भूमि तथा ग्राम सभाओं की अनुपयोगी भूमि पर मियावाकी पद्धति अनुकरणीय बागीचे तैयार कराए जा रहे हैं ताकि अन्य कृषक उनका अनुसरण करके फलदार व अन्य प्रकार के पौधों का रोपण कर सकें। इसके लिए सुकवा, बरुआसागर, टहरौली बढ़वार, गढ़मऊ आदि जलाशयों के नाम प्रस्तावित किए गए हैं। इस मौके पर जिला कृषि अधिकारी केके सिंह, कृषक आत्माराम राजपूत ग्राम बडौरा, बृजेन्द्र सिंह आदि उपस्थित रहे।