छात्राओं के बीच शिक्षिकाएं दूर कर रही परिवार की कमी
झांसी। कोरोना से इस समय सभी लोग परेशान दिख रहे हैं। सरकार द्वारा लॉकडॉउन किए जाने से बहुत सारे लोग अपने घरों में अपने परिवारों के साथ कैद हो गए हैं। परिवार के साथ रहन में समय फिर भी आसानी से व्यतीत हो जाता है। कुछ लोग अचानक हुए इस लॉकडाउन में फंस गए हैं। जो समय रहते अपने घर नहीं जा पाए। इन्हीं में से कुछ छात्राएं बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के हॉस्टलों में रहने वाली हैं। इन छात्राओं के बीच पहुंचकर हाॅस्टल वाॅर्डन उनके परिजनों की कमी को पूरा करने का प्रयास कर रही हैं।
कोरोना के कहर से बचने के लिए आज से 18 दिन पूर्व 24 मार्च की रात को 8 बजे प्रधानमंत्री मोदी ने अचानक पूरे देश में 21 दिन के लिए लाॅकडाउन की घोषणा कर दी थी। इसके चलते यातायात पर ब्रेक लग गए। और जो जहां था वहीं फंसकर रह गया। ऐसे में बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय की करीब 25 छात्राएं किन्हीं कारणवश समय रहते लॉकडाउन में नहीं निकल पायीं। वर्तमान में यह बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के हॉस्टलों में रह रही हैं। इन छात्राओं को कोई समस्या न हो इसके लिए छात्रावासों की वॉर्डन नियमित रूप से इनके संपर्क में हैं। यही नहीं इनके साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत कर इन्हें मनोवैज्ञानिक रूप से संबल प्रदान कर रही हैं। ओबीसी छात्रावास की वार्डन डा. श्वेता पांडे ने बताया कि छात्राओं का मन लगा रहे इसके लिए बैडमिंटन आदि खेलों के साथ संगीत और गिटार बजाकर छात्राओं के साथ वह उनका समय व्यतीत करा रही हैं। इसके साथ ही छात्राओं की किसी भी समस्या को दूर करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन हर संभव मदद करने के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि अधिक से अधिक छात्राओं के बीच रहने से उनके परिजनों की कमी भी उन्हें महसूस नहीं होने देने का प्रयास किया जा रहा है। और इस प्रयास में उन्हें काफी हद तक सफलता भी हाथ लगी है।