घरों में रहकर सादगी से मनाएं ईद, अमीर-गरीब का फर्क न रहने दें
शहर काजी ने लाॅकडाउन के पालन के साथ ईद मनाने का दिया संदेश
झांसी। कोरोना संक्रमण के प्रसार के खतरे को रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन के बीच इस बार की ईद को अल्लाह की ओर से गरीबों की मदद को दिया गया सुनहरा मौका मानते हुए उत्तर प्रदेश में झांसी के शहर काजी साबिर अंसारी ने अमीरी गरीबी का फर्क मिटाते हुए मिलकर ईद मनाने का संदेश दिया है।
देशव्यापी लॉकडाउन में सभी लोगों के कामकाज लंबे अरसे तक बंद रहे और अगर अब कुछ छूट मिली भी है तो अभी सामान्य स्थिति आने में लंबा समय लगेगा। ऐसे में बहुत सारे समाज के ऐसे लोग हैं जिनके लिए एक वक्त का खाना जुटाना भी संभव नहीं हो रहा है। ईद के दिन जो लोग सक्षम है वह अगर कुछ भी नहीं कर सकते तो कम से कम अपने आस पास के ऐसे परिवारों की मदद करें ताकि इस दिन अमीर गरीब का कोई फर्क नहीं रहे। उन्होंने बताया कि इस तरह से ईद मनाने का ऐलान उनकी ओर से दो तीन दिन से लगातार किया जा रहा है और आज भी यह ऐलान किया गया है। शहर काजी ने लोगों ने ईद के दिन भी सरकार के आदेशों का पालन करने और शांतपूर्ण तरीके से घरों में ही रहकर त्योहार मनाने की अपील की। रोजेदार मोहम्मद अंसार ने कहा कि कोरोना महामारी ने न केवल रमजान के पवित्र महीने में इबादत के तौर तरीके बदल दिये बल्कि ईद मनाने तरीका भी बदल दिया। पूरे रमजान न तो कोई मस्जिद या ईदगाह गया और न ही मिलकर अल्लाह की इबादत की गयी। हर जगह एक अजीब सी वीरानगी है जिसमें ईद की रौनक पूरी तरह से खो गयी है लेकिन इंसानियत अब भी कायम है और हर रोजेदार को इसे बचाने में अपना-अपना योगदान देना चाहिए। हम कुछ भी नहीं कर पायें तो इतना तो कर ही सकते हैं कि हमारे आसपास जो गरीब और जरूरतमंद लोग हैं उन्हें यथासंभव मदद पहुंचाये ताकि ईद के दिन किसी को भी मायूसी का सामना नहीं करना पडे।
शहर काजी ने कहा कि जैसा कि रमजान के पवित्र महीने में लोगों ने घरों मे रहकर इबादत की और अल्लाह को याद किया। इस आपदा के समय ईद भी बेहद सादे तरीके से घरों में रहकर ही मनायें। यूं तो महीना भर एक तपस्या की तरह रोजेदार अल्लाह की इबादत कर ईद के दिन अपने परिवार ,रिश्तेदारों और मिलने वालों के साथ हर्षोल्लास से त्योहार मनाते हैं लेकिन इस बार कोरोना महामारी की आपदा के कारण हालात काफी अलग हैं ।
परिवार की खुशियों पर खर्चे जाने वाले पैसे से करें गरीब की मदद
रोजेदार फहीम हसन ने कहा कि न मस्जिद में नमाज पढ़ी, न तवारीह पढ़ी, न मिलकर जुम्मा पढा, न गले मिलकर हम एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद दे सकते हैं। तो फिर ईद का क्या मतलब। इस सबके बीच एक काम जो हम मिलकर कर सकते हैं वह यह है कि घर परिवार के लोगों की खुशियों पर जो पैसा खर्च किया जाता था उसी से गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें। ऐसे खराब हालात में हर किसी को दो वक्त की रोटी मिल सके इसके लिए सक्षम लोग आगे आयें, यह मदद ही ईद को मनाने का सबसे अच्छा तरीका है।
प्रशासन ने किए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
रमजान की तरह ही ईद पर भी मस्जिद और ईदगाह में लोगों के एकत्र होने पर पूरी तरह से रोक रहेगी , इसके बावजूद पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के पूरे इंतजाम किये हैं। पुलिस अधीक्षक (शहर) राहुल श्रीवास्तव ने बताया कि यूं तो मस्जिदों और ईदगाहों में नमाज पर पहले ही पाबंदी लगी हुई है और यह ईद के दिन में बादस्तूर जारी रहेगी। ईद से पहले शांति समिति की बैठकें भी की गयीं इसके बावजूद एहतियात के तौर पर महानगर के मिश्रित और संवेदनशील इलाकों जैसे कोतवाली और नवाबाद थाना क्षेत्र में पीएसी, थाना पुलिस को तैनात किया गया है। अन्य जगहों पर भी ऐसी की व्यवस्था की गयी है। सभी मस्जिदों और ईदगाहों पर एक सिपाही और एक होमगार्ड रहेगा जबकि बड़ी मस्जिद और ईदगाहों पर पीएसी के साथ सिविल डिफेंस के वॉलंटियर्स को लगाया गया है।