गर्भवती महिलाएं खून की कमी को न करें नजरंदाज: सीएमएस
झांसी। गभर्वती में खून की कमी बहुत ही घातक हो सकती है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इससे मातृ और शिशु दोनों की जान को खतरा हो सकता है।
जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक व प्रसूति विशेषज्ञ डा. वसुधा अग्रवाल ने बताया कि गर्भवती महिलाओं में खून की कमी की वजह से उनके अंदर पल रहे बच्चे का विकास सही तरह से नहीं हो पाता है। जिसका कारण तय समय से पहले प्रसव हो जाता है जिसमें शिशु की मौत का खतरा बना रहता है या फिर प्रसव के पश्चात ज्यादा रक्तश्राव से मां की जान को खतरा रहता है। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिला का खून का स्तर 12 ग्राम व कम से कम 9 ग्राम तो होना ही चाहिए तब ही उसका प्रसव सही तरह से हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2019 से नवम्बर 2019 तक लगभग 34,603 गर्भवती महिलाओं ने जांच कराई। इनमें से लगभग 23,864 महिलाओं में सामान्य खून की कमी पायी गई। जबकि 1189 महिलाओं में गंभीर खून की कमी पायी गयी। वर्ष 2018-19 में 37,233 गर्भवती महिलाओं में 36,996 महिलाएं ऐसी थी। जिनमें सामान्य खून की कमी थी वही 3146 महिलाएं गंभीर रूप से एनेमिक थी। यह आंकड़े साबित करते हैं कि अब भी खून की कमी को लेकर उतनी गंभीरता और जागरूकता नही हंै जितनी होनी चाहिए। जबकि प्रसव के दौरान यह वह एकमात्र बड़ा कारण है जिसकी वजह से अक्सर महिलाओं की या उनके शिशु की मृत्यु हो जाती है। अप्रैल 2019 से दिसंबर 2019 तक जनपद में 28 मातृ मृत्यु हो चुकी है जिसमें से 11 प्रसव के पश्चात अत्यधिक रक्तश्राव (पीपीएच) से हुयी है।