क्वारनटाइन में रखे जाने के लिए इकाई चिन्हित
झांसी। देश में कोरोना के बढ़ते मरीजों देखते हुए पैरा मेडिकल कॉलेज में बनाए गए क्वारनटाइन वार्ड में ड्यूटि करने वाली 35 सदस्ययी टीम को संक्रमण नियंत्रण पर सोमवार को प्रशिक्षण दिया गया। हालांकि उनका प्रथम प्रशिक्षण लखनऊ से विडियो कॉल के जरिये पहले ही हो चुका है। साथ ही उन्हें पर्सनल प्रोटेक्टिव एक्विपमेंट (पीपीई) यानि व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण विधि के बारे में भी टेक्निकल प्रशिक्षण दिया गया।
क्वारनटाइन चिकित्सा इकाई के प्रभारी डा. राकेश बाबू गौतम ने प्रशिक्षण के दौरान बताया कि जो लोग संदिग्ध की श्रेणी में है उन्हंे 14 दिन के लिए इंस्टीट्यूशनल क्वारनटाइन किया जाना है, जहां उनके संक्रमण के लक्षणों के बारें में ध्यान दिया जाना है। साथ ही 14 दिन के दौरान उनका दो बार सैंपल जांच के लिए लिया जाएगा। यदि दोनों बार जांच नकारात्मक आती है, ऐसी स्थिति में ही उन्हे घर भेजा जाएगा। वर्तमान में जनपद के जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में ही संदिग्ध लोगों को आइसोलेशन वार्ड में रखा जा रहा है, अभी तक जनपद में कोई भी मरीज कोरोना से पीड़ित नहीं मिला है। टेक्निकल प्रशिक्षण दे रहे क्वालिटी सलाहकार डा. मनीष खरे ने सभी सदस्यों को पीपीई किट विधि के बारें में समझाते हुये कार्य क्षेत्र में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण में इस्तेमाल होने वाली सभी 6 चीजों को कैसे पहनना है और उनका निस्तारण कैसे करना है, के बारें में पढ़ाया। वह छः चीजें है कैप, चश्मा, मास्क, ग्लब्स, एप्रिन और जूते। वही हाथों की सफाई की महत्वता बताते हुये क्वालिटी मेंटर अनुपमा ने बताया कि सभी को दिन में कम से कम 7-8 बार हाथों को साबुन और पानी से जरूर धुलना है, एवं आवश्यकता अनुसार सेनेटाइजर का भी प्रयोग किया जाना है। प्रशिक्षण दे रही स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी डा. विजयश्री शुक्ला ने बताया इस बीमारी के प्रति भय पैदा न करंे, यदि इस बीमारी से कोई संक्रमित भी हो रहा है तो उसमें 80 प्रतिशत लोग ठीक हो रहे है और 17 प्रतिशत ऐसे है जिन्हंे आईसीयू या वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ रही है। मृत्यु दर मात्र 3 प्रतिशत ही है। बाहिरी राज्यों और जनपदों से आ रहे लोग 14 दिन तक घर पर ही रहे और किसी से न मिले। यदि उनमें लक्षण दिखाई देते है तो उन्हे संस्थागत क्वारनटाइन किया जाएगा।