कोरोना से निपटने के लिए लागू 123 साल पुराना अधिनियम-1897

प्लेग महामारी से निपटने के लिए 1897 में बना था अधिनियम
झांसी। कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है और विश्व भर में सरकारें अपने-अपने तरीके से इससे निपटने के प्रयास कर रही हैं। भारत में इस महामारी से निपटने के लिए महामारी अधिनियम-1897 लागू किया गया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता हेमंत द्विवेदी का कहना है कि एपीडेमिक डिजीज एक्ट-1897 (महामारी अधिनियम 1897) 123 साल पुराना अधिनियम है जिसे अंग्रेजों के जमाने में लागू किया गया था, जब भूतपूर्व बम्बई स्टेट में बूबोनिक प्लेग ने महामारी का रूप लिया था। इस अधिनियम की केवल 4 धाराएं हैं।
आजकल कोविड-19 महामारी फैलने की आशंका के मद्देनजर राज्य सरकार ने 14 अप्रैल तक सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, धार्मिक, शैक्षणिक, खेल, पारिवारिक प्रकृति के किसी भी आयोजन पर प्रतिबंध लगाने के लिए महामारी रोग अधिनियम 1897 को लागू किया है।
क्या कहता है एक्ट ?
इस अधिनियम का उपयोग उस समय किया जाता है जब किसी भी राज्य या केंद्र सरकार को इस बात का विश्वास हो जाए कि राज्य व देश में कोई बड़ा संकट आने वाला है, कोई खतरनाक बीमारी राज्य या देश में प्रवेश कर चुकी है और समस्त नागरिकों में फैल सकती है। ऐसी स्थिति में केंद्र व राज्य दोनों इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू कर सकते हैं।
कोविड-19 से निपटने के लिए केंद्रीय सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस कानून के खंड-दो को लागू करने का निर्देश दिया है। महामारी अधिनियम, 1897 की धारा (2) की मुख्य बातें – महामारी अधिनियम 1897 के लागू होने के बाद सरकारी आदेश की अवहेलना अपराध है। लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों पर इस अधिनियम के तहत कार्रवाई हो सकती है। इसमें आईपीसी की धारा-188 के तहत सजा का प्रावधान है। यह कानून अधिकारियों को सुरक्षा भी प्रदान करता है।
– यह केंद्र और राज्य सरकारों को विशेष अधिकार देता है जिससे सार्वजनिक सूचना के जरिये महामारी प्रसार की रोकथाम के उपाय किये जा सकें।
– यात्रियों का निरीक्षण करने का अधिकार अधिनियम की धारा 2 की उपधारा 2 (बी) के अनुसार है। राज्य सरकार हर तरह की यात्रा से आने वाले यात्रियों का निरीक्षण करने में प्रक्रिया विकसित कर सकती है तथा निरीक्षक नियुक्त कर सकती है। जिन लोगों पर निरीक्षक को यह संदेह होता है कि वह संक्रमित रोग से पीड़ित हैं, निरीक्षक उन लोगों को अस्पताल या अस्थाई आवास केंद्र पर ले जा सकते हैं।

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