कोरोना का कहर: मंदिरों और भक्तों के बीच बढ़ाई दूरी
टूट गई सैकड़ों वर्षों की परम्पराएं,सूने पड़े रहे प्राचीन दुर्गा मंदिर
झांसी। नवरात्र के पहले दिन से जहां मां दुर्गा की शक्तिपीठों में भक्तों का तांता लगा रहता था और मंदिर परिसर मां के जयकारों से गुंजायमान रहते थे। 450 वर्षों की परम्परा को तोड़ते हुए बुधवार को मंदिर के कपाट भक्तों के लिए बंद नजर आए और मंदिर परिसर सूने पड़े रहे। यह दहशत है दुनिया भर के 150 से अधिक देशों में मौत का तांडव मचा रहे कोरोना वायरस का है। बीते रोज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश भर में लाॅक डाउन की घोषणा के बाद से चारों ओर सूनसान मचा है।
झांसी की कुलदेवी और बुंदेलखंड के शक्तिपीठों में से एक प्राचीन पचकुइंया माता मंदिर पर नवरात्र के दिनों में घमासान हुआ करता था। एक दिन में 30 से 50 हजार श्रद्धालु माता के चरणों में जल चढ़ाकर उनके दर्शन करने के लिए आते थे। साथ ही वहां 9 दिनों तक चलने वाले मेले में ऐसी कोई वस्तु नहीं होती थी जो न मिले। देश के कोने-कोने से व्यापारी वहां अपनी दुकानें लगाने आते थे। यही हाल जिला मुख्यालय से करीब 8 किमी की दूरी पर कोटा-शिवपुरी हाईवे पर स्थित करौंदी माता मंदिर का था। लेकिन आज सुबह से ही वहां सन्नाटा पसरा था। यहां तक की पंचकुंइयां मंदिर की सेवा करने वाले पुजारी विष्णु दुबे भी मास्क लगाए नजर आए। मंदिर परिसर में बुधवार को तड़के से ही पुलिसकर्मियों का पहरा बैठ गया और दर्शनों के लिए आने वाले सभी भक्तों चाहें वह पुरूष हो या महिला ,बुर्जुग हो या जवान सभी को मंदिरों के दूर से वापस लौटा दिया गया। पुरूष और महिला पुलिसकर्मी मंदिरों के बाहर पूरी मुस्तैदी से तैनात थे और लोगों को मंदिर से दूर रहकर अपने घर में पूजा करने ,नंगे पैर आ रहे भक्तों को चप्पल पहनकर ही बाहर निकलने की सलाह देते नजर आये।
चंदेलकालीन है पंचकुंइयां माता मंदिर
सुरक्षाकर्मी किसी को भी मंदिर के द्वार तक भी नहीं आने दे रहे और सभी को समझा बुझाकर लौटाया जा रहा है। मंदिर के पुजारी विष्णुदुबे ने बताया कि यह मंदिर चंदेलकालीन है जो लगभग एकहजार साल से भी पुराना है। पचकुंइया की देवी झांसी की कुलदेवी हैं और इस मंदिर की मान्यता बहुत अधिक है इस कारण बड़ी संख्या में देश विदेश से लोग माता के दर्शनों के लिए खासकर नवरात्र के दिनों में आते हैं।
चार पीढ़ियों से नहीं देखा ऐसा दृश्य
पंडित जी ने बताया कि उनका परिवार चार पीढियों से माता की सेवा में लगा है लेकिन ऐसी स्थिति उन्होंने न तो कभी देखी और न ही कभी सुनी। मंदिर में सामान्य दिनों में इतने श्रद्धालु आते हैं और नवरात्र में तो भक्तों की संख्या के बारे में वह सही बता भी नहीं पायेंगे। नवरात्र के समय जो मंदिर परिसर कीर्तन और जयकारों से गुंजायमान रहता था वह आज कोरोना कहर के चलते सूनसान पड़ा है। उन्होंने बताया कि रात की आरती का समापन होने के बाद दर्शनों का क्रम टूटता नहीं था। जब तक सुबह की आरती की तैयारी हो जाती थी।
अन्य माता मंदिरों का भी यही हाल
लहर की देवी और कैमासन देवी पर भी मंदिर और मंदिर परिसर में इसी तरह का सन्नाटा पसरा है हालांकि मंदिर के भीतर पुजारी नियमानुसार ही पूजा अर्चना कर रहे हैं और नवरात्र के दौरान जो भी कर्मकांड जिस समय पर होते हैं वह यथानुसार ही हो रहे हैं लेकिन लोगों के घर से बाहर निकलने में लगी पाबंदी के कारण मंदिर में सन्नाटा पसरा है।
ऐसा ही नजारा काली जी के मंदिर “ कालियन” पर भी सुबह से ही देखने को मिला जहां मंदिर के द्वार पर पुलिस का पहरा रहा और वह लोगों को घर से नहीं निकलने और अपने घर में ही रहकर पूजा करने की सलाह दे रहे थे।
संकट के समय घर पर अनुष्ठान का दिया संदेश
पंचकुंइयां मंदिर के पुजारी विष्णु दुबे ने कहा कि देश पर भारी संकट छाया है। हमारे प्रधानमंत्री सभी से हाथ जोड़कर घर पर रहने की प्रार्थना कर रहे हैं। ऐसे में वह सभी श्रृद्धालुओं को संदेश देना चाहते हैं कि घर पर रहकर ही मां की सेवा, अर्चना व उपासना करें। मां दुर्गा सभी संकटों का नाश करेंगी।
वहीं महाकाली माता मंदिर के पुजारी पं.गोपाल त्रिवेदी ने बताया कि ईश्वर हर जगह व्याप्त है। वह अपने भक्तों की पुकार जरुर सुनता है। घर पर रहकर भी मां की उपासना और योग करके अपने को स्वस्थ रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मंदिर में भी वह दुर्गा सप्तसती का पाठ कर रहे हैं। इसके प्रभाव से लोगों के संकटों को दूर करने में सहयोग मिलेगा।