कुंभकार सशक्तीकरण योजना में हुई वृद्वि अब 12 हजार मिलेगे

झांसी। घर में शुभ कार्य हो या फिर शादी-बारात। दीपावाली-छठ का त्यौहार कुम्हार के यहां बनने वाली मिट्टी के उत्पाद सभी शुभ कार्यों के लिए अहम होते है। प्रधानमत्री का सपना है कि देश की प्राचीन कला सशक्त हो, और हर व्यक्ति अपने हुनर से भारत को आत्मनिर्भर बनाने में योगदान दे। इसी दिशा में कुम्हार सशक्तीकरण योजना एक बहुत महत्वपूर्ण योजना की शुरूआत कर कुम्हार समुदाय को सशक्त बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। 3 हजार रूपए प्रति माह से बढ़ाकर अब 12 हजार किया गया है। उक्त उद्गार मुख्य विकास अधिकारी शैलेष कुमार ने विकास भवन सभागार में योजना की समीक्षा करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने खादी ग्रामोद्योग आयोग के माघ्यम से कुंभकार सशक्तीकरण योजना को नई रफ्तार दी है ताकि कुंभकार समुदाय (प्रजापति समाज) को आत्मनिर्भर भारत अभियान में अलग पहचान मिल सकें। परंपरागत उद्योगों को बढ़ावा देकर कुटीर उद्योग स्थापित किए जाए। सरकार का मानना है कि कुंभकार समुदाय भारतीय शिल्पकला के वाहक हैं। कुंभकार को तकनीकी से जोड़कर उनके जीवन को सुगम बना सकते है और उनकी उत्पादन क्षमता को बढा सकते है। कुम्हार मिट्टी के बर्तनों की परम्पारिक कला को जिन्दा रखे हुए है। खादी ग्रामोद्योग आयोग के अनुसार देश में करीब चार करोड़ कुंभकार समुदाय के लोग है। जिसमें से 17 हजार विद्युत चाक बांटे और लोगों को प्रशिक्षित किया। जिसमें 75 हजार लोगों को कुम्भकार सशक्तीकरण योजना का सीधा लाभ मिल रहा है। खादी ग्रामोद्योग आयोग की कुम्भकार सशक्तीरण योजना के तहत कुम्हारों की औसत आय तीन हजार रूपए प्रति माह हो रही है। सरकार की योजना से अब इतना ही नहीं इस आय को बढ़ाकर 12 हजार रूपये प्रति माह की जा रही है। इस मौके पर राकेश कुमार श्रीवास्तव जिला ग्रामोद्योग अधिकारी आर पी गौतम सहित अन्य उपस्थित रहे।

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