कानपुर मुठभेड़ में शहीद होने की खबर के बाद क्षेत्र में छाया मातम

झांसी। बीती रात कानपुर में शहीद हुए कांस्टेबल सुल्तान सिंह मऊरानीपुर में ही पले बढ़े थे। सुल्तान का ख्वाव अपनी 7 वर्षीय बेटी को अच्छा डाॅक्टर बनाने का था। कानपुर में मुठभेड़ के दौरान सुल्तान के शहीद होने की खबर के बाद से उनके ननिहाल में मातम पसरा हुआ है। वही पुलिस महकमे में राजकीय सम्मान के साथ उनके अन्तिम संस्कार की तैयारी चल रही है। हालांकि अभी उनके पार्थिव शरीर के आने का स्थान तय नहीं हुआ है।
झांसी जिले के सदर तहसील स्थित गांव भोजला निवासी शहीद सुल्तान सिंह श्रीवास के पिता हर प्रसाद बेटे की मौत की खबर सुनकर कानपुर रवाना हो गए। बेटा सुल्तान बचपन से ही तहसील व कस्बा मऊरानीपुर के चैक दमेला स्थित अपनी ननिहाल के इसी घर में पला बड़ा है। उसकी शिक्षा-दीक्षा यहीं से हुई है। मां भी यही रहती थी, पिता भी यही रहते थे। कानपुर में अचानक शहीद हुए सुल्तान की खबर जैसे ही यहां आई। घर में मातम पसर गया। सुल्तान का ख्वाब था कि उसकी बेटी चेरी एक बहुत बड़ी डॉक्टर बने।
सुल्तान के ममेरे भाई अशोक ने बताया कि सुल्तान तीन भाई थे। बब्लू सबसे बड़े भाई हैं। जो भोजला में आटा चक्की चलाते हैं। उनसे छोटे सुल्तान थे। और सबसे छोटे भाई सोनू थे। जिसकी 5 बर्ष पहले मौत हो गई थी। सुल्तान की नौकरी 8 वर्ष पूर्व मऊरानीपुर में अपने ननिहाल में रहते हुए ही लगी थी। सुल्तान की पहली पोस्टिंग जालौन के उरई थाने में थी। सुल्तान अपने पीछे पत्नी ऊर्मिला वर्मा व 7 वर्ष की मासूम बेटी चेरी को अपने पीछे छोड़ गए हैं। उनके ममेरे भाई ने बताया कि सुल्तान समाज के दुख दर्द को ठीक करने के लिए हमेशा सोचते रहते थे। उनकी बेटी के जन्म होने के बाद से ही उन्होंने यह सपना सजांे लिया था कि वह उसे पढ़ा लिखाकर एक अच्छा डाॅक्टर बनाएंगे। जो समाज के दुख दर्द को मिटाने का कार्य करेगी।

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