कांग्रेसियों ने किया विद्युत के निजीकरण का विरोध

झांसी। भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने सरकार द्वारा बिजली का निजीकरण किया जाने का विरोध करते हुए कहा कि कांग्रेस शासनकाल में जो परियोजनाओं और संस्थाओं की आधारशिला रखी गई थी। वर्तमान में केंद्र की मोदी सरकार उन्हें तहस-नहस करने में लगी हुई है। निजीकरण के नाम पर देश के एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन बेचे जा रहे हैं। सरकारी संस्थानों को कमजोर किया जा रहा है। कांग्रेस, केंद्र सरकार के इस निर्णय का पुरजोर विरोध करती है और निजीकरण के खिलाफ विद्युत विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के संघर्ष का समर्थन करती है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य मनीराम कुशवाहा ने कहा कि केंद्र सरकार बिजली को निजी हाथों में देकर निजी कंपनियों का एकाधिकार कराना चाहती है, जिससे देश के गरीब व किसानों को मिलने वाली सस्ती बिजली से सब्सिडी को खत्म कर दिया जाएगा और इस तबके के लिए बिजली महंगी हो जाएगी। इसके अलावा वर्तमान व्यवस्था में विद्युत संबंधी शिकायतों और आपूर्ति के लिए जहां जनता विभाग से संपर्क कर दबाव बनाकर अपनी समस्याओं का निस्तारण शीघ्र करा लेती है लेकिन कंपनियों के आ जाने के बाद इन समस्याओं के निराकरण में विलंब होगा और कंपनियों की मनमानी चलेगी। निजी करण से विभाग के कर्मचारियों और उपभोक्ताओं का शोषण शुरू हो जाएगा। जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व महामंत्री अमीरचंद आर्य ने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार निजी करण की आड़ में समाज के कमजोर वर्ग के लोगों को मिलने वाले आरक्षण का लाभ खत्म करना चाहती है क्योंकि अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के लोगों को जो आरक्षण का लाभ मिलता है। इसके तहत इन वर्गों के गरीब लोग बमुश्किल अधिकारी व कर्मचारी बन पाते हैं। सरकार निजी करण कर आरक्षित वर्ग के लोगों को नौकरी से बाहर करना चाहती है। इस अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रघुराज शर्मा, अफजाल हुसैन, मुन्नीदेवी अहिरवार, नीता अग्रवाल, जगमोहन मिश्रा, अफसर खान आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।

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