उप्र-मप्र बाॅर्डर पर पहुंच रहे मजदूरों का 24 घंटे बाद हटा जाम

220 से अधिक बसों का प्रयोग कर भेजा गया गंतव्य तक
झांसी। पूरा विश्व इस समय कोरोना की दहशत में है। भारत में भी पिछले कुछ दिनों से संक्रमितों की बढ़ती संख्या ने सोचने पर मजबूर कर दिया है। किन्तु लाॅकडाउन के तीसरे चरण में भी विभिन्न राज्यों से आने वाले मजदूरों का रैला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इन मजदूरों की आवाजाही में कोरोना संकट ने भी खूब पांव पसार लिए हैं। फिर भी इसकी फिक्र को दरकिनार करते हुए राज्य सरकार मजदूरों को उनके गंतव्य तक भेजने का पूरा प्रयास कर रही है। शिवपुरी-कोटा हाईवे पर उप्र-मप्र की सीमा पर पिछले 24 घंटों के बाद खुला जाम इस बात का प्रमाण है कि प्रतिदिन हजारों की संख्या में मजदूर प्रदेश की सीमा पर पहुंच रहे हैं।
विश्वव्यापी कोविड-19 के खतरे को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना की कमर तोड़ने के लिए पूरे देश में 21 दिन का लाॅकडाउन लागू किया था। हालांकि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के लाख अपील करने के बाद भी लोग अपने कामों को अंजाम देने बाहर निकलने से बाज नहीं आए। तभी जमातियों ने पूरे देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या में वृद्धि करना शुरु कर दिया। अभी इस भीषण समस्या का पार भी नहीं मिल पाया था कि लाॅकडाउन के दूसरे चरण की घोषणा के साथ ही विभिन्न प्रदेशों में रोजगार की तलाश में फंसे मजदूरों ने धमाचैकड़ी शुरु कर दी। उनकी आवाजाही पिछले करीब एक माह से निरंतर चल रही है। अभी तक लाखों की संख्या में मजदूर उप्र-मप्र की सीमा से अपने गंतव्य की ओर जा चुके हैं। पहले तो उप्र सरकार ने कढ़ाई से लाॅकडाउन का पालन कराते हुए इन मजदूरों को रोकने का प्रयास किया। लेकिन इनकी प्रतिदिन सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती संख्या को देखते हुए ये आदेश दिए गए कि बाॅर्डर पर इन्हें केवल चैक करते हुए वाहनों के माध्यम से उनके गंतव्य तक भेजने का आदेश उप्र सरकार ने दिया। साथ ही यह भी आदेश दिया कि यदि कोई मजदूर संदिग्ध प्रतीत होता है तो उसे तुरंत ही क्वारेंटाइन करते हुए सैंपल के जांच के बाद उसके गंतव्य तक भेजा जाए। साथ ही इन मजदूरों से यह भी अपील की गई थी कि ये किसी भी तरह अपने गांव को नुकसान न होने दें। पर ऐसा हुआ नहीं। एक माह गुजरने को आया लेकिन यूपी-एमपी बाॅर्डर पर कोई भी दिन ऐसा नहीं जाता जब हजारों की संख्या में मजदूर वहां न पहुंचते हों। बीती शाम भी रक्सा टोल प्लाजा से आगे मप्र सीमा पर करीब 5 हजार से अधिक मजदूर आ धमके। उनके बिना अनुमति वाले वाहनों की कतार से किलोमीटरों तक जाम लग गया। इस पर प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। पिछले 24 घंटे की मशक्कत के बाद रविवार को प्रशासन ने दोपहर बाद शाम के समय करीब 220 परिवहन विभाग की बसें व अन्य वाहनों की व्यवस्था से उन्हें भोजन आदि कराकर उनका परीक्षण कराने के बाद गंतव्य की ओर रवाना किया।
हजारों मजदूर चोरी छिपे निकल रहे सीमा के आस पास से
प्रशासन की नजर में जो लोग आ रहे हैं उनको रोककर उनकी जांच कराई जा रही है। लेकिन हजारों की संख्या में ऐसे भी मजदूर हैं जो बाॅर्डर की भौगोलिक स्थिति का लाभ उठाकर सीधे अपने गांव पहुंच रहे हैं। ऐसे मजदूरांे की संख्या हजारों में है। और यह निश्चत रुप से गांवों के देश भारत में कोरोना का बड़ा खतरा भी है।
सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ा रहे धज्जियां
कोरोना से लड़ने के लिए जो सबसे जरुरी बात है वह है सोशल डिस्टेंसिंग। इसके लिए पूरे विश्व ने भारत के लाॅकडाउन को खूब सराहा है। लेकिन पिछले करीब एक माह से मजदूरों के रैले ने इस सोशल डिस्टंेसिंग की हवा निकाल कर रख दी है। इनकी तस्वीरें इस बात को बयां करती नजर आती हैं।
बोले मण्डलायुक्त,जांच के बाद सभी को गंतव्य तक भेजने की है व्यवस्था
इस मामले में जब मंडलायुक्त सुभाष चन्द्र शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रतिदिन हजारों की संख्या में विभिन्न राज्यों से मजदूर यहां पहुंच रहे हैं। शासन की मंशा के अनुरुप सभी की खाने पीने की व्यवस्था की जा रही है। साथ ही सभी की जांच करने के बाद उन्हें उनके गंतव्य तक भेजे जाने का भी प्रबंध किया जा रहा है।

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