उप्र-मप्र के रक्सा बाॅर्डर पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में पहुंच रहे श्रमिक
गुना, सागर व भोपाल के रास्ते से आ रहे प्रवासी मजदूर
झांसी। उप्र-मप्र के रक्सा बाॅर्डर पर देश के तमाम राज्यों की सीमा खुलती है। खासतौर पर यह रास्ता अन्य राज्यों का मुख्य दरवाजा भी माना जा सकता है। मण्डलायुक्त ने बताया कि इस समय इस सीमा पर महाराष्ट्र, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश व अन्य प्रदेशों व महानगरों से प्रवासी मजदूर आ रहे हैं। इन सब में खासतौर पर बिहार जाने वाले मजदूरों की संख्या सर्वाधिक है। प्रतिदिन यहां पहुंचने वालों की संख्या करीब 20 से 25 हजार है। शनिवार को भी यहां पहुंचने वाले श्रमिकों की संख्या करीब 15 से 18 हजार के आस पास रही। उन्होंने बताया कि प्रशासन का प्रयास है कि किसी भी मजदूर को झांसी की सीमा में पहुंचने पर कोई परेशानी न हो।
रक्सा बाॅर्डर पर अधिकांश लोग गुना, सागर व भोपाल के रास्ते आ रहे हैं। ऐसे मंे यदि गुना से टेªन का संचालन सीधे बिहार के लिए कर दिया जाए तो शायद बेहतर हो जाएगा। मजदूरों को भटकने के स्थान पर सीधा उनके गंतव्य तक भेजा जा सकेगा। साथ ही कई राज्यों की सीमाओं की मशक्कत भी बच जाएगी। इस संबंध में भी मण्डलायुक्त सुभाष शर्मा व आईजी सुभाष चन्द्र बघेल की मप्र के उच्चाधिकारियों से वार्ता चल रही है। बताया गया कि महाराष्ट्र की बसें मजदूरों को अपनी सीमा तक छोड़ रही हैं। मप्र की बसें उन्हें अपनी सीमा तक छोड़ रही हैं। और अन्य राज्यों की सरकारें भी यही कर रही हैं। यह पूरी संख्या उप्र की सीमा में आकर एकत्र हो जाती है। जो परेशानी का सबब बन जाती है। प्रशासन का प्रयास है कि श्रमिकों को कोई परेशानी न हो और वह अपने गंतव्य तक आराम से पहुंच सके। परन्तु एकाएक संख्या बढ़ जाने से परेशानियां बढ़ जाती हैं। मण्डलायुक्त ने मजदूरों से बात करते हुए कहा कि अब लाॅकडाउन समाप्त होने में ज्यादा दिन नहीं हैं। ऐसे में वे अपने रोजगार छोड़कर क्यों भाग आए हैं। तो मजदूरों ने उन्होंने बताया कि उन्हें नहीं लगता कि अब कुछ महीनों तक उन्हें रोजगार मिलने की संभावना भी है। जबकि उनका घर उनके लिए ज्यादा सुरक्षित स्थान है। वहीं रहकर वे अपने जीवन यापन का कार्य करेंगे। उनके अंदर एक अविश्वास दिखाई दिया। वे अपने रोजगार के प्रति सशंकित दिखाई दिए। रक्सा बाॅर्डर पर श्रमिकों को छाव देने के लिए प्रशासन द्वारा टंेट आदि की व्यवस्था भी की गई है। साथ ही चिकिज्सकों की टीम द्वारा स्वास्थ्य कैम्प भी लगाया गया है ताकि गर्मी के इस मौसम में दूर दराज से आने वाले लोगों को किसी प्रकार की कोई दिक्कत होती है तो उसका इलाज कर उन्हें दवा उपलब्ध कराई जाये। इस मौसम में सर्वाधिक लोगों में पानी की कमी के चलते चक्कर आना आदि की समस्या को देखते हुए उन्हें ओआरएस के पाउच दिये जा रहे है। इसके साथ ही प्रशासन की ओर से संचालित सामुदायिक रसोई के माध्यम से भोजन पानी भी श्रमिकों को दिया जा रहा है।
बोले मण्डलायुक्त, उप्र अर्तराज्यीय टेªन संचालित करने वाला देश में पहला राज्य
मण्डलायुक्त ने रक्सा बाॅर्डर पर नई दुनिया की टीम से वार्ता करते हुए कहा कि राज्य के अन्दर ही टेªन का संचालन करने वाला शायद उप्र देश का पहला राज्य होगा। हम यहां उप्र के अन्दर ही विभिन्न जनपदों तक प्रवासी मजदूरों को भेजने के लिए टेªन संचालित कर रहे हैं। यह अपने आप में एक अच्छी पहल भी है। और मजदूरों को उनके गंतव्य तक भेजने में यह बेहतर सहयोग भी दे पा रहा है। हम झांसी से गोरखपुर तक व झांसी से बनारस तक टेªन संचालित कर मजदूरों को उनके जनपदों तक भेज रहे हैं। इसके अलावा रोडवेज की बसें भी लगातार संचालित की जा रही हैं। समस्या तो तब होती है जब एकाएक मजदूरों की संख्या में भारी वृद्धि हो जा रही है। या फिर मजदूरों को उनके गंतव्य तक भेजने गई टेªन व बसें लौटने में लेट हो जा रही हैं।