आपातकाल के 45 वर्ष: झांसी में जब जेल बना परीक्षा केन्द्र

झांसी। आपातकाल को लोकतंत्र के अध्याय में यूं ही काला अध्याय नहीं कहा जाता है। आमजन तो छोड़िए वीरांगना नगरी में विद्यार्थियों को भी खुले में सेण्टरों पर परीक्षा देने से वंचित कर दिया गया था। यही नहीं जेल को ही परीक्षा केन्द्र बनाते हुए वहीं से छात्रों व छात्र नेताओं को परीक्षाएं दिलाई गई थी। यह जानकारी देते हुए लोकतंत्र सेनानी व वरिष्ठ पत्रकार रामसेवक अड़जरिया के जेहन में आज भी उत्साह का संचार हो उठा।
श्री अड़जरिया बताते हैं कि वह भी उन छात्र नेताओं में से एक थे। वह उस समय जिले के श्रेष्ठ विद्यालय गुरसरांय के त्यामूर्ति आत्माराम खेर इण्टर काॅलेज में इण्टरमीडिएट के छात्र थे। उन्होंने भी युवा जोश में आपातकाल का जमकर विरोध किया। इस पर उन्हें जेल भिजवा दिया गया। श्री अड़जरिया को 13 दिसम्बर 1975 को वीरांगना भूमि के सदर बाजार क्षेत्र से जेल भेज दिया गया था। उन्हें आगामी 1976 के मार्च-अप्रैल में इण्टरमीडिएट की परीक्षा देनी थी। इसके लिए उनकी ओर से उनकी पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता जगदीश सहाय शर्मा ने उन्हें परीक्षा देने के लिए पैरोल पर जमानत देने की बात रखी थी। इस पर तत्कालीन प्रशासन ने आपातकाल का हवाला देते हुए श्री अड़जरिया को जेल से बाहर निकालने में असहमति जताते हुए जेल को ही परीक्षा केन्द्र बनाने का प्रस्ताव रखा था। और फिर विद्या के मंदिर को दरकिनार करते हुए जिला कारागार को ही परीक्षा केन्द्र बनाकर श्री अड़जरिया समेत करीब 40 छात्रों को हाईस्कूल,इण्टरमीडिएट,स्नातक,परास्नातक व विधि आदि कक्षाओं की परीक्षाएं दिलाई गई थी। इन छात्रों में पूर्व शिक्षा मंत्री डा.रविन्द्र शुक्ल,राजेन्द्र कुशवाहा,वीरेन्द्र साहू,ओमप्रकाश शर्मा आदि करीब तीन दर्जन छात्र शामिल रहे थे।

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